समाजवादी आंदोलन के नेता माननीय शरद यादव का 75 साल की उम्र में गुरुवार को निधन हो गया। इसकी जानकारी उनकी बेटी सुभाषिणी यादव ने ट्वीट द्वारा दी है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘पापा नहीं रहे’। शरद यादव ने गुरुग्राम के फोर्टिंस अस्पताल में आखिरी सांस ली।
कहते हैं जब आप कुछ ठान लेते हैं तो उसे हासिल करने से आपको दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकता। किसान परिवार में जन्मे शरद यादव के लिए संसद तक पहुँचने का सफर आसान नहीं था। आपने जीवन के तमाम संघर्षों से झूझने के बाद ही आज भारतीय राजनीति में शरद यादव एक दिग्गज नेता के रूप में उभरे हैं। आइए एक सरसरी निगाह में जानते हैं शरद यादव के जीवन के बारे में।
शरद यादव का जन्म मध्य प्रदेश के होशंगाबाद के एक छोटे से गाँव अखमाऊ में 1 जुलाई 1947 को एक किसान परिवार में हुआ। किसान परिवार में जन्मे शरद यादव का दिमाग पढ़ाई में काफी तेज़ था। उन्होंने अपनी आरंभिक शिक्षा अपने गाँव के स्कूल से ग्रहण की। इसके बाद इटारसी के हायर सेकेंडरी स्कूल (Higher Secondary School) से उन्होंने उच्च शिक्षा ग्रहण की। उन्होंने 1964 में साइंस कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने 1970 में कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग जबलपुर से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की।
ऐसे हुई राजनीतिक करियर की शुरुआत
शरद यादव के राजनीतिक करियर की शुरुआत उनके कॉलेज के दिनों से ही हो गई थी। जिस दौरान शरद यादव अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर रहे थे उस दौरान वो युवा राजनीति में भी काफी सक्रीय थे। 1971 में वह पहली बार जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में छात्र संघ के प्रसीडेंट चुने गए। इस दौरान वह कई राजनीतिक आंदोलनों का हिस्सा भी रहे। जिनमें मिसा आंदोलन के तहत उन्हें 1969, 1970, 1972 और 1975 जेल भी जाना पड़ा।
बेहतरीन रहा राजनीतिक सफर
1974 में पहली बार उन्हें जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद चुना गया। इस दौरान वह जेपी आंदोलन में काफी सक्रीय रहे। 1977 में एक बार फिर उन्हें इसी सीट से सांसद चुना गया। वह उस समय युवा नेता दल में अध्यक्ष का पदभार भी संभाल रहे थे। सांसद बनने के दौरान उनकी आयु मात्र 27 वर्ष ही थी।
1986 में पहली बार शरद यादव ने राज्यसभा का रुख किया। 1986 के लोकसभा चुनाव में यूपी की बदायूं सीट पर उन्होंने जीत हासिल की। इसके बाद इसी साल उन्हें केंद्रीय मंत्री का पद भी मिला। 1997 में जनता दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी चुना गया। शरद यादव जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के अध्यक्ष भी रहे हैं। राजनीति में उनका आगे का सफर भी काफी शानदार रहा। वर्ष 1991 से लेकर 2014 तक शरद यादव बिहार की मधेपुरा सीट से सांसद चुने गए।
दिल का दौरा बना मौत की वजह
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़ शरद यादव अपने अंतिम समय में काफी बीमार थे। उनके दामाद राज कमल राव ने बताया कि उनके ससुर को कार्डिएक अरेस्ट (Cardiac Arrest) आया है और उन्हें तुरंत बेहोशी की हालत में गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहाँ डॉक्टर की टीम ने तुरंत उन्हें सीपीआर दिया। लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। गुरुवार रात 10 बजकर 19 मिनट पर उन्हें मृत घोषित किया गया। उनके पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गाँव ले जाकर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर ट्विटर के माध्यम से अफ़सोस व्यक्त किया है।
शरद यादव को एक नजर मे जाने
⦿ 1986 में राज्यसभा मे गए।
⦿ 1989-90 कपड़ा और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री।
⦿ 1997 जनता दल के अध्यक्ष।
⦿ 1999-2001 नागरिक उड्डयन मंत्री रहे।
⦿ 2001- 2002 श्रम मंत्री रहे।
⦿ 2002 – 2004 उपभोक्ता मामलों के मंत्री, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री।
⦿ 2009 में शहरी विकास समिति के अध्यक्ष बने।
⦿ 2014 में वे राज्य सभा के लिए चुने गए।
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