कभी भगवान राम को काल्पनिक बताने वाला विपक्ष आज भगवान राम से डरता दिखाई दे रहा है। पांच सौ वर्षों के संघर्षशील बलिदानी प्रयास के कारण के कारण वो घड़ी आयी है जब भगवान राम अपने घर मे विराजमान होंगे। पूरा देश जंहा भगवान के आगमन की खुशिओं में डूबा है, वहीं भारत के विपक्ष को श्रीराम से डर लगने लगा है। जैसे-जैसे प्राण प्रतिष्ठा का समय नजदीक आ रहा है, विपक्षी दल के बयान उनके भय को दर्शा रहे हैं।
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव लगातर कुछ न कुछ बयानबाजी राम मंदिर को लेकर कर रहे हैं। अभी उन्होंने कहा है कि श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम राम का कार्यक्रम है,और सबके हैं। उसमें भाजपा को ज्यादा हस्तक्षेप नही करना चाहिए। इससे पहले वह बोल रहे थे, भगवान जब बुलाएंगे तो जरूर जाएंगे। उनकी पत्नी डिंपल यादव ने भी कहा था कि राम सबके हैं, इसलिय हम जरूर जाएंगे।
कांग्रेस के कई बड़े नेता भी भगवान राम विराजने के कार्यक्रम पर भाजपा को लक्षित कर रहे है और कह रहे कि श्री राम सभी के है भाजपा इसपर कोई राजनीति न करे। टीएमसी, राजद, शिवसेना, जदयू, रालोद, सपा, एआईएमआईएम,आप सहित सभी विपक्षी दल श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा पर भाजपा को लक्षित कर राम के प्रति श्रद्धा दिखा रहे हैं। उनकी ये श्रद्धा भगवान राम के प्रति नही है बल्कि उनको भगवान राम से डर लग रहा है। उनको स्प्ष्ट दिखाई देने लगा है कि श्री राम के आशीर्वाद से जनता का रुख भाजपा की तरफ हो रहा है।
आगामी लोकसभा चुनाव में जनता राममय होकर भाजपा के पक्ष में न चली जाए इसलिये विपक्ष का राम प्रेम उभरने लगा है। देश की जनता इतनी भोली भी नही है कि आज कालनेमि बनकर राम-राम जपने वाले विपक्ष ने राम मंदिर व भगवान राम पर क्या-क्या टिपण्णी की थी। जिन अखिलेश यादव को आज राम में श्रद्धा दिखाई दे रही है, इन्हीं के पूर्वजों ने रामभक्तों पर गोलियां चलवाईं थी और कहा था कि मुझे इसका कोई दुख भी नही। इन्ही अखिलेश यादव के मुख से कभी नही निकला कि अयोध्या मन्दिर बने बल्कि इनके मुख्यमंत्री रहते हुए कई बड़े नेताओं ने मस्जिद बनने की बात जरूर कही थी, इन्ही के दल के बड़े नेता लगातार रामचरितमानस पर अपमानित टिपण्णी कर रहे हैं। अखिलेश मौन रहकर उनका समर्थन करते आए हैं।
कांग्रेस ने जितना विरोध भगवान राम का किया है उसको भुलाया नही जा सकता। जिस राम के प्रति आज वो श्रद्धा दिखा रहे हैं, उन्ही राम को सार्वजनिक रूप से काल्पनिक बताया था और भगवान राम द्वारा निर्मित रामसेतु को भी काल्पनिक बताकर उसको तोड़ने का भरपूर प्रयास किया था। रामभक्तों के प्रयास के कारण देश के न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद रामसेतु टूटने से बचा था। हमेशा परिस्थिति देखकर रंग बदलने वाला नव-निर्मित दल आप पार्टी के मुखिया कहते थे कि अयोध्या में मन्दिर नही हॉस्पिटल बनना चाहिए। उनका कहना था कि विकास के लिए मन्दिर नही अस्पताल चाहिए।
भारत की जनता को ध्यान रखना चाहिए कि जिस प्रकार रावण साधु बनकर माता को हरकर ले गया था और मारीच ने सुंदर हिरन बनकर रावण की मदद की थी, सुपर्णखा भी सुंदर स्त्री बनकर भगवान को मोहित करने आई थी। कालनेमि ने भी साधु बनकर राम-राम कहकर हनुमान जी का मार्ग रोका था जिससे लक्ष्मण के प्राण न बच पाएं और भगवान राम उनके वियोग में प्राण त्याग दें।
समझने की बात है कि जिस प्रकार रावण, मारीच, कालनेमि, सुपर्णखा सभी ने सुंदर रूप केवल भगवान राम के कार्य को रोकने के लिए रखा था, उसी प्रकार आज भारत का विपक्ष राम के प्रति श्रद्धा दिखाकर केवल जनता को भ्रमित करना चाहता है। वर्तमान समय में देश की जनता के हृदय में भगवान राम विराजमान है इसलिए कलयुग के ये रूप बदलने वाले लोग उनको भ्रमित न कर पाएंगे। आगामी चुनावों में भी उन्ही की विजय निश्चित है जो राम के पक्ष पहले से खड़े थे और आज भी खड़े हैं क्योंकि राम से विमुख कहीं भी कुछ भी नही पा सकता।
लेखक : ललित शंकर गाजियाबाद