नवरात्रि के सातवें दिन मातारानी की कालरात्रि माता के रूप में पूजा की जाती हैं। मां कालरात्रि माता को
संकट हरने वाली और नकारात्मक शक्तियों को दूर करने वाली माना जाता हैं। नवरात्रि में मां कालरात्रि
की पूजा करने से इंसान को कई समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि में देवी कालरात्रि की आराधना से संतान के सुख की प्राप्ति होती है। मध्य
प्रदेश के इंदौर में मां कालरात्रि का एक ऐसा मंदिर है जहां निसंतान दंपत्ति बच्चे की चाहत में नवरात्र में
मां की पूजा करते हैं। इस मंदिर में लोगों की अटूट आस्था है। लोगों का मानना है कि मंदिर में एक बार
गोद भरवा लेने के बाद उनके आंगन में किलकारियां जरूर गूंजती हैं।
इंदौर में मां कालरात्रि के इस मंदिर में संतान की चाह रखने वाले दंपत्ति आते हैं। नवरात्रि में निसंतान
दंपत्ति मां के इस मंदिर में पूजा करने आते हैं। यहां लोगों की ऐसी मान्यता है कि एक बार मंदिर में
गोद भरवाने के बाद लोगों की संतान प्राप्ति की इच्छा निश्चित रूप से पूरी होती है।
यहां पर आने वाले भक्त मां को तीन नारियल चढ़ाकर गोद भरने की याचना करता है। इस मंदिर के
पुजारी श्रद्धालुओं को गले में बंधन बांधने के लिए मौली का धागा देते हैं। याचक को पांच हफ्तों तक
यह धागा गले में बांधना होता है।
यदि मुराद पूरी हो गई तो नियमानुसार पांच नारियलों का तोरण यहां के पेड़ पर बांधना होता है। अगर
आप कभी इंदौर स्थित इस मंदिर का दर्शन करने जाएंगे तो मंदिर में लगे पेड़ पर ऐसे सैकड़ों तोरण बंधे
हुए देखेंगे।
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता,
लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा,
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥