राणा सांगा – Rana Sanga Jayanti

Maha Rana Sanga
Maha Rana Sanga

राणा सांगा भारत एक लम्बे अरसे तक पराधीनता की ज़ंजीरों में जकड़ा रहा। भारत पर पहले मुगलों ने शासन किया। इसके बाद अंग्रेज़ों की दमनकारी नीतियों ने भारतीयों के बुलंद हौसलों को परास्त करने का हर संभव प्रयास किया। लेकिन भारत के बहादुर योद्धाओं ने अंग्रेज़ों को परास्त करने से पहले क्रूर मुग़ल शासकों का भी डट कर मुकाबला किया। इनमें से एक नाम राणा सांगा का भी है, जिन्हे एक आँख, एक पैर और एक हाथ गवाने के बावजूद भी युद्ध में झुकना गवारा नहीं था।

कौन थे राणा सांगा ?

राणा सांगा अपने समय के एक शक्तिशाली हिन्दू राजा थे। राणा सांगा का पूरा नाम महाराजा संग्राम सिंह था। इनका जन्म 12 अप्रैल 1482 को राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में हुआ था। इस दिन को इनकी जयंती के रूप में मनाया जाता है। इनका नाम मेवाड़ के महत्वपूर्ण शासकों में शुमार है। इन्होने अपनी शक्ति के बल पर मेवाड़ सम्राज्य का विस्तार किया था। इस विस्तार के दौरान इन्होने राजपूताना के सभी शासकों को संगठित भी किया था। राणा रायमल की मृत्यु के बाद 1509 में राणा सांगा मेवाड़ के महाराजा बन गए। इस पर राणा सांगा ने अन्य राजपूत सरदारों के साथ सत्ता का आयोजन भी किया। राणा सांगा ने मेवाड़ में 1509 से 1518 तक शासन भी किया, जो वर्तमान में राजस्थान में स्थित है।

राणा सांगा की जयंती कब मनाई जाती है ?

12 अप्रैल (जन्म – 12 अप्रैल 1948)

राणा सांगा की मृत्यु कब हुई थी ?

30 जनवरी 1528

राणा सांगा कहाँ के राजा थे ?

राणा सांगा मेवाड़ के राजा थे, जो आज भारत के राजस्थान में स्थित है।

कैसे हुई थी महाराणा सांगा की मृत्यु ?

खानवा का ऐतिहासिक युद्ध बाबर और महाराणा सांगा के बीच लड़ा गया था। असंगठित सेना के साथ ही आपसी मतभेदों के चलते और भीतरी घाव की वजह से महाराणा सांगा की हार हुई। वह घायल अवस्था में एक बार फिर से अपने सैनिकों के साथ मेवाड़ की ओर निकल पड़े। प्रसिद्ध इतिहासकार कृष्ण राव के अनुसार महाराणा सांगा विदेशी आक्रांता बाबर को देश से बाहर निकालने के लिए मेहमूद लोदी और हसन खां का समर्थन लेने में कामयाब रहे।

प्रारम्भ में बयाना के युद्ध में महाराणा सांगा ने बाबर को पराजित कर जीत हासिल की थी। लेकिन इसके बाद सेना के असंगठित होने की वजह से उनकी हार हुई थी। अपनी इस कमज़ोरी का पता लगाते हुए उन्होंने अपनी सेना को फिर से संगठित और सुव्यवस्थित किया। इसके बाद वह बाबर को युद्ध में परास्त करते हुए उसे खत्म करना चाहते थे। लेकिन उनकी अपनी सेना में कुछ विश्वासघाती शामिल थे, जिन्होंने उनका साथ देने का ढोंग करते हुए उन्हें ज़हर दे दिया। इस धोखे की वजह से कालपी नाकम स्थान पर 30 जनवरी 1528 को उनकी मृत्यु हो गई।

महाराणा सांगा की मृत्यु को लेकर एक और तथ्य को भी उद्घाटित किया जाता है। इतिहासकार ऐसा कहते हैं कि खानवा के युद्ध में बाबर की सेना से लड़ते समय महाराणा सांगा बुरी तरह से घायल हो गए थे जिसकी वजह से वापस लौटते समय उनकी मृत्यु हो गई थी। महाराणा सांगा की अंतिम इच्छा थी की मांडलगढ़ में उनका अंतिम संस्कार किया जाए। उनकी अंतिम इच्छा को पूर्ण करते हुए इसी स्थान पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस स्थान पर आज भी उनकी उनकी छतरी बनी हुई है।

यदि आपको हमारा यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर करना ना भूलें और अपने किसी भी तरह के विचारों को साझा करने के लिए कमेंट सेक्शन में कमेंट करें।

UltranewsTv देशहित

यदि आपको हमारा यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर करना ना भूलें | देश-दुनिया, राजनीति, खेल, मनोरंजन, धर्म, लाइफस्टाइल से जुड़ी हर खबर सबसे पहले जानने के लिए UltranewsTv वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें।
भारत के राष्ट्रपति | President of India

भारत के राष्ट्रपति : संवैधानिक प्रमुख 

pCWsAAAAASUVORK5CYII= भारत रत्न : भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान

भारत रत्न : भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान

pCWsAAAAASUVORK5CYII= परमवीर चक्र : मातृभूमि के लिए सर्वोच्च समर्पण

परमवीर चक्र : मातृभूमि के लिए सर्वोच्च समर्पण

Total
0
Shares
Leave a Reply
Previous Post
पंजाब: BSF के जवानों ने अमृतसर से 2 ड्रग तस्करों को पकड़ा, एक लाख कैश बरामद

पंजाब: BSF के जवानों ने अमृतसर से 2 ड्रग तस्करों को पकड़ा, एक लाख कैश बरामद

Next Post
कथक डांसर कुमुदिनी लाखिया का 94 वर्ष की आयु में हुआ निधन

कथक डांसर कुमुदिनी लाखिया का 94 वर्ष की आयु में हुआ निधन

Related Posts
Total
0
Share