भारत एक ऐसा देश है जो पूर्ण रूप से एकता की भावना से सम्पन्न है। भारत की भूमि का विस्तृत क्षेत्र कई राज्यों को अपने भीतर समाहित किए हुए है। भारत के सभी राज्य अपने आप में एक विशेष महत्व रखते हैं। इन तमाम राज्यों के महत्व को भारत की सांस्कृतिक विरासत ही अभिव्यक्त कर सकती है। किसी भी देश की संस्कृति की वाहक उसकी भाषा होती है। भारत देश में भाषा के आधार पर ही राज्यों का गठन किया गया है। ओडिशा राज्य का गठन भी भाषा के आधार पर ही किया गया था।
ओडिशा दिवस(Odisha Diwas) को उत्कल दिवस(Utkal Diwas) के नाम से भी जाना जाता है। हर साल 1 अप्रेल को ओडिशा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस साल (2023 में) ओडिशा अपना 88 वा स्थापना दिवस मनाने जा रहा है। अब आपके मन में यह सवाल ज़रूर उठा होगा कि एक अप्रेल को ही ओडिशा दिवस क्यों मनाया जाता है। असल में 1 अप्रेल 1936 को ओडिशा की स्थापना भारत के एक प्रांत के रूप में हुई थी।
261 ई पू में मगध सम्राट अशोक ने मौर्य साम्राज्य का विस्तार करने के लिए इस क्षेत्र पर विजय प्राप्त की थी, जिसके बाद यह क्षेत्र कलिंग का हिस्सा बन गया था। मौर्य शासन के बाद ओडिशा में राजा खारवेल के शासन की शुरुआत हुई। खारवेल ने मगध को हराकर अपनी सत्ता कायम की और इसके साथ ही मौर्य शासक को हराकर स्वयं पर हुए आक्रमण का बदला भी लिया। 1576 में मुग़ल साम्राज्य ने तटीय ओडिशा पर कब्ज़ा कर लिया। इसके बाद 1700 के मध्य में मराठों ने भी ओडिशा के कुछ तटीय क्षेत्रों में अपना शासन स्थापित किया था। इसके बाद कर्नाटक में हुए युद्धों के बाद ओडिशा के दक्षिणी तट को ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा मद्रास प्रेसीडेन्सी में मिला दिया गया था। 1912 में बिहार तटीय क्षेत्र से अलग बिहार और ओडिशा दो अलग प्रांत बन गए थे।
ओडिशा राज्य में कुल 30 जिले हैं। ओडिशा क्षेत्रफल के हिसाब से 8 वा सबसे बड़ा राज्य है और जनसंख्या के लिहाज़ से 11 वा सबसे बड़ा राज्य है। ओडिशा के पड़ोसी राज्य पश्चिम में छत्तीसगढ़, दक्षिण में आँध्रप्रदेश, उत्तर में पश्चिम बंगाल और झारखण्ड हैं। ओडिशा भारत का तीसरा राज्य है जहाँ आदिवासियों की संख्या सबसे अधिक है। 1135 से 1948 तक कटक ओडिशा की राजधानी हुआ करती थी लेकिन इसके बाद भुवनेश्वर राज्य की राजधानी बना। 9 नवम्बर 2010 को भारत की संसद द्वारा 'उड़ीसा' का नाम बदलकर 'ओडिशा' कर दिया गया था और 'ओरिया' भाषा का नाम बदलकर 'ओड़िया' कर दिया गया था।