Rajasthan Diwas : राजस्थान दिवस का इतिहास, दिवस का सम्पूर्ण घटनाक्रम

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राजस्थान, जिसे ‘राजाओं की भूमि’ के नाम से जाना जाता है, उत्तर भारत में स्थित एक राज्य है।

राजस्थान दिवस: इतिहास, महत्व और आयोजन

राजस्थान राज्य का अस्तित्व काफ़ी पुराना है। राजस्थान, राजपूताना की 19 रियासतों से मिलकर बना है, जिसमें अजमेर-मेरवाड़ा के ब्रिटिश जिले भी शामिल हैं। प्राचीन काल की बात करें तो राजस्थान के कुछ हिस्से सिंधु घाटी सभ्यता का अंग थे, जैसे कालीबंगन, जो सिंधु घाटी सभ्यता की एक प्रमुख प्रांतीय राजधानी थी।

15 अगस्त 1947 को राजस्थान की रियासतों का विलय भारत में कर दिया गया था, लेकिन इनका एकीकरण समग्र रूप से एक साल बाद हुआ। 700 ईस्वी में यहाँ बड़े पैमाने पर राजपूत वंश का शासन था। इससे पहले राजस्थान मौर्य साम्राज्य का एक हिस्सा था। 13वीं शताब्दी की शुरुआत में मेवाड़, राजस्थान का एक शक्तिशाली भाग हुआ करता था। राजस्थान को पहली बार एकजुट करने में मुग़ल बादशाह अकबर का विशेष योगदान रहा। पहले इसे राजपूताना के नाम से जाना जाता था, लेकिन 30 मार्च 1949 को इसे “राजस्थान” के रूप में पहचान मिली। इसलिए हर साल 30 मार्च को राजस्थान स्थापना दिवस मनाया जाता है।

राजस्थान दिवस का महत्व

राजस्थान दिवस हर साल 30 मार्च को मनाया जाता है क्योंकि यह उस दिन की याद दिलाता है जब राज्य एक संघीय इकाई के रूप में अस्तित्व में आया था। ‘राजाओं की भूमि’ के नाम से प्रसिद्ध राजस्थान, इस दिन को पूरे राज्य में रंगारंग और उत्साहवर्धक कार्यक्रमों के साथ मनाता है।

भारतीय सभ्यता की समृद्धि का एक चमकता हुआ प्रतीक होने के नाते, राजस्थान अपनी कला और वास्तुकला में प्रदर्शित प्राचीन और मध्यकालीन राजसी विरासत को संजोए हुए है। राजस्थान की प्रत्येक रियासत की वास्तुकला और कला की एक विशिष्ट शैली थी, जिससे यह दुनिया के सबसे सांस्कृतिक रूप से विविध स्थानों में से एक बन जाता है।

राजस्थान का गौरवशाली इतिहास

राजस्थान आज अपने खान-पान, संगीत और मीठे व्यवहार के लिए जाना जाता है, लेकिन इसके इतिहास के पन्ने वीरता और बलिदान की गाथाओं से भरे पड़े हैं। यहाँ के वीरों और वीरांगनाओं ने अपनी माटी के लिए असीम त्याग किया है।

  • पृथ्वीराज चौहान ने तराइन के प्रथम युद्ध में मुहम्मद ग़ोरी को पराजित किया था। कहा जाता है कि ग़ोरी ने 18 बार पृथ्वीराज पर आक्रमण किया था, जिसमें 17 बार उसे पराजय का सामना करना पड़ा
  • जोधपुर के राजा जसवंत सिंह के 12 वर्षीय पुत्र पृथ्वी सिंह ने अपने हाथों से औरंगज़ेब के खूंखार भूखे जंगली शेर का जबड़ा फाड़ डाला था।
  • राणा सांगा ने 100 से अधिक युद्ध लड़कर अपने अदम्य साहस का परिचय दिया।
  • पन्ना धाय के बलिदान के साथ-साथ पाली के ठाकुर मोहकम सिंह की रानी बाघेली का बलिदान भी अमर है।
  • जोधपुर के राजकुमार अजीत सिंह को औरंगज़ेब से बचाने के लिए, उनकी रानी ने अपनी नवजात राजकुमारी के स्थान पर उन्हें छुपाकर ले जाया था।

राजस्थान दिवस केवल राजस्थान या उसके इतिहास का दिवस नहीं है, बल्कि यह पूरे भारत के गौरव का दिवस है। भारत, राजस्थान में जन्मे वीरों के बलिदान और उनके योगदान को कभी नहीं भूलेगा।

राजस्थान का एकीकरण और राज्य दिवस की स्थापना

राजस्थान दिवस मनाने के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण यह है कि 30 मार्च 1949 को जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर और बीकानेर रियासतों का विलय कर ‘वृहत्तर राजस्थान संघ’ बनाया गया था। इस विलय में सरदार वल्लभभाई पटेल की मुख्य भूमिका रही थी। राजस्थान का शाब्दिक अर्थ “राजाओं का स्थान” है, क्योंकि आज़ादी से पहले यहाँ कई राजाओं और सम्राटों ने शासन किया था।

राजस्थान दिवस का आयोजन

हर साल राजस्थान पर्यटन विभाग द्वारा इस दिन विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। जयपुर इस आयोजन का मुख्य केंद्र होता है।

  1. खाद्य एवं शिल्प मेला
    • जवाहर कला केंद्र के शिल्पग्राम में आयोजित किया जाता है।
    • यहाँ राजस्थान की पारंपरिक पाक कला और लोक प्रदर्शन देखने को मिलते हैं।
    • मेले में मेवाड़, मारवाड़, ढूंढाड़, हाड़ौती और बृज क्षेत्रों के व्यंजन प्रस्तुत किए जाते हैं।
  2. शिल्प बाज़ार
    • यहाँ राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों से लाई गई हस्तशिल्प वस्तुएँ, कपड़े, मिट्टी के बर्तन, कढ़ाई वाले कपड़े, खूबसूरत कालीन, धातु और लकड़ी के शिल्प प्रदर्शित किए जाते हैं।
  3. संस्कृतिक प्रदर्शन
    • जल महल: चरी नृत्य और कठपुतली शो का आयोजन।
    • अल्बर्ट हॉल: आदिवासी नृत्य और लोकगीतों का प्रदर्शन।
    • आमेर किला: रावण हत्था और खड़ताल वादन का प्रदर्शन।

देशभर से आए कलाकार इन सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में भाग लेते हैं, जिससे राजस्थान की समृद्ध विरासत जीवंत हो उठती है। ⏹

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