अमेरिका के फेडरेल बैंक ने देर रात को रेट कटौती का एलान किया। फेडरेल बैंक ने 0.25 फीसदी रेट कट किया है। इस वजह से अमेरिका बाजार (Stock Market Crash) में गिरावट देखने को मिली है,जिस कारण बाजार का मूड पूरा ख़राब हो गया है। इसके अलावा अभी दो और कटौती का अनुमान लगाया गया है।
भारतीय शेयर बाजार में देखा गया असर
अब इसका असर गुरुवार को भारतीय शेयर बाजार (share market) में देखने को मिला है। Sensex की बात करे तो यह 1100 से ज़्यादा टूटकर खुला। वहीं निफ़्टी 400 अंक से ज़्यादा ओपन हुआ। थोड़े समय बाद स्थिति में थोड़ा सुधर देखने को मिला। सेंसेक्स अभी 917 अंक गिरकर 79,238.08 पर कारोबार कर रहा है. वहीं Nifty50 283 अंक गिरकर 23,914.95 पर कारोबार कर रहा है. बैंक निफ्टी में 744 अंक की गिरावट आयी है।
BSE टॉप के 2 शेयर छोर के सभी में गिरावट
BSE शेयर के टॉप 30 शेयरों 2 शेयरो को छोड़कर सभी शेयर गिरावट पर हैं। सबसे ज़्यादा गिरावट इंफोसिस के शेयर में देखने को मिली, जो कि 3 फीसदी की गिरावट आयी है। वहीं निफ्टी के 47 शेयर दबाव में कारोबार कर रहे हैं,जबकि 3 शेयर उछाल पर हैं। टाटा कंज्यूमर और डॉ. रेड्डी के शेयरों में तेजी देखी जा रही है।
10 शेयरों में आयी बड़ी गिरावट
एशियन पेंट्स के शेयर (Asian Paints Share) 2 फीसदी से ज्यादा टूटकर कारोबार कर रहे हैं। वहीं इंफोसिस (Infosys Share) में 3 फीसदी, टीसीएस, एचसीएल, महिंद्रा, एचडीएफसी बैंक के शेयरों में करीब 2 फीसदी की गिरावट आई है। स्मॉल और मिड कैप में त्रिवेणी टरबाइन, फाइव स्टार बिजनेस, सोनाटा सॉफ्टवेयर, भारती हेक्साकॉम, नायका, कोचिन शिपयार्ड के शेयर करीब 3 फीसदी तक गिरकर कारोबार कर रहे हैं।
क्यों टूटा शेयर बाजार ?
जैसा कि अमेरिका के सेंट्रल बैंक फेडरेल ने कहा था कि रेट कटौती अभी और होने का अनुमान है, इस वजह से बाजार (share market) का मूड काफी खराब हुआ था। फेडरल बैंक की कमेंट्री से बाजार डर गया। आपको बता दें कि बुधवार को आयी इस कमेंट्री से 2025 में सिर्फ दो बार कटौती होने के संकेत दिए है। सेंट्रल बैंक ने कहा कि महंगाई पर अभी और सख्ती की ज़रूरत है, जिस कारण भारतीय बाजार (share market) भी दबाव महसूस कर रहा है।
निवेशकों को हुआ भाड़ी नुकसान
कल BSE मार्केट कैपिटलाइजेशन 452 करोड़ रुपये था, जो आज बड़ी गिरावट के बाद घटकर 448 करोड़ रुपये हो चुका है। यानी मार्केट कैप में 4 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की गिरावट आई है। इसका मतलब है कि निवेशकों के वैल्यूवेशन में 4 लाख करोड़ रुपये की कमी आई है।