दारा सिंह की प्रसिद्धि वर्ष 1987 में दूरदर्शन पर आने वाले प्रसिद्ध पौराणिक धारावाहिक ‘रामायण’ में ‘श्री हनुमान जी’ के पात्र के अभिनय करने के कारण हुई थी। आज 19 नवंबर, उनकी जयंती पर जानतें हैं उनके बारे में कुछ बातें।
Dara Singh Biography in Hindi
दीदार सिंह रंधावा, जिन्हें दारा सिंह के नाम से भी जाना जाता है, एक पहलवान, अभिनेता, निर्देशक, निर्माता और राजनीतिज्ञ थे। उन्हें लोक मनस के पटल पर भारतीय पौराणिक श्रृंखला “रामायण” में ‘हनुमानजी’ की भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है। दारा सिंह को ‘भारतीय सिनेमा के आयरनमैन’, ‘बॉलीवुड के ओरिजिनल मसल मैन’ और ‘बॉलीवुड के एक्शन किंग’ के नाम से जाना जाता है।
पंजाब में हुआ था जन्म
दारा सिंह का जन्म 19 नवंबर, 1928 को हुआ था। उनका जन्म एक जाट सिख परिवार में हुआ था। वे पंजाब के माझा क्षेत्र के धरमूचक गांव में जन्मे थे। उनके पिता का नाम था सूरत सिंह रंधावा और माता का नाम बलवंत कौर था।
अखाड़े में कभी नहीं हारे
- वर्ष 1947 में दारा सिंह सिंगापुर गए। सिंगापुर में उन्होंने एक ड्रम-निर्माण मिल में काम किया और वहीं ग्रेट वर्ल्ड स्टेडियम में हरनाम सिंह के अधीन कुश्ती का प्रशिक्षण शुरू किया।
- बाद में जब उन्होंने ‘पेशेवर कुश्ती’ करना शुरू किया तब उन्होंने दुनिया के तत्कालीन महानतम रेसलर्स के साथ कुश्ती लड़ा।
- उन्होंने बिल वर्ना, फ़िरपो ज़बिस्ज़को, जॉन दा सिल्वा, रिकिडोज़न, डैनी लिंच और स्की हाय ली जैसे विरोधियों के साथ प्रतिस्पर्धा की। किंग कांग के साथ उनका मुकाबला आज भी याद किया जाता है।
- 1954 में, दारा सिंह ने रुस्तम-ए-हिंद (भारत का चैंपियन) टूर्नामेंट में भाग लिया, जहां उन्होंने टाइगर जोगिंदर सिंह को हराकर फाइनल जीता।
- इसके बाद, 1959 में, उन्होंने कलकत्ता में जॉर्ज गोर्डिएन्को को हराकर राष्ट्रमंडल चैम्पियनशिप जीती।
- 29 मई, 1968 को बॉम्बे में, लू थेज़ को हराकर वे विश्व चैम्पियन बने।
- दारा सिंह ने उन सभी देशों का एक-एक करके दौरा किया जहाँ फ्रीस्टाइल कुश्तियाँ लड़ी जाती थीं। कहा जाता है कि उन्होंने पचपन वर्ष तक पहलवानी की और पाँच सौ मुकाबलों में किसी एक में भी नहीं हारे।
- वर्ष 1983 में उन्होंने अपने जीवन का अन्तिम मुकाबला जीता और कुश्ती से संन्यास ले लिया।
फिल्मों में भी किया है काम
उन्होंने हिंदी तथा पंजाबी फिल्मों और टेलीविजन में अभिनय किया। उन्होंने फिल्म निर्माता, निर्देशक और लेखक के रूप में काम किया।
उन्होंने 1952 में संगदिल से एक अभिनेता के रूप में अपना करियर शुरू किया। पचपन वर्ष के फ़िल्मी कैरियर में दारा सिंह ने कुल मिलाकर एक सौ दस से अधिक फ़िल्मों में बतौर अभिनेता, लेखक एवं निर्देशक के रूप में काम किया। इनमे से कुछ चर्चित फ़िल्में ‘जब वी मेट’, ‘कल हो न हो’, ‘आनंद’, ‘मेरा नाम जोकर’, आदि है।
किन्तु उन्हें प्रसिद्धि मिली टेलीविज़न से।
1980 के दशक के अंत में टेलीविजन पर चले गए, जहां उन्होंने हिंदू महाकाव्य रामायण के टेलीविजन रूपांतरण में ‘हनुमान जी’ की भूमिका निभाई।
उन्होंने विभिन्न महाभारत फिल्मों में ‘भीम’ के रूप में अभिनय किया। इसके अलावा वे ‘बलराम’ की भूमिका में भी नज़र आ चुके हैं।
राजनीती में भी आजमाए दो-दो हाथ
दारा सिंह जनवरी, 1998 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए। वह राज्यसभा के लिए नामांकित होने वाले पहले खिलाड़ी बने। वे वर्ष 2003 से 2009 के बीच राज्यसभा में रहे। इसके साथ ही, वह ‘जाट महासभा’ के ‘अध्यक्ष’ भी थे।
अंतिम समय
दारा सिंह को 7 जुलाई, 2012 को दिल का दौरा पड़ने के बाद कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। किन्तु चिकित्सकों ने जब हाथ खड़े कर दिये, तो 11 जुलाई, 2012 उनके परिवार जन उन्हें घर ले आये और अगले दिन 12 जुलाई, 2012 मुंबई में उनके घर पर उनकी मृत्यु हो गई। उनका अंतिम संस्कार जुहू श्मशान घाट पर किया गया।
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