पिछले एक साल के दौरान महंगाई की दरों में काफी इज़ाफ़ा हुआ है। बढ़ती महंगाई की वजह से खाने पीने की चीज़ों की कीमतें भी काफी बड़ी हैं। लेकिन अब लोगों को बढ़ती महंगाई की वजह से ज़्यादा चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है। मंगलवार को केंद्र ने गेहूं और आटे की खुदरा कीमतों(Wheat Price) को कम करने के लिए खुले बाज़ार में अतिरिक्त 20 लाख टन गेहूं की बिक्री बढ़ाने की घोषणा की है। इसके साथ ही सरकार ने आटे में नरमी आने के साथ ही आटा मिलों को आटे की दरों में कटौती करने के भी आदेश दिए हैं। गेहूं और गेहूं के आटे की कीमतों को तेज़ी से नियंत्रित करने के लिए अपने बफर स्टॉक से 30 लाख टन गेहूं खुले बाज़ार में बेचने की घोषणा की थी। मंगलवार को जारी किए गए सरकारी ब्यान के अनुसार, सरकार ने फैसला लिया है कि भारतीय खाद्य निगम (FCI) खुला बाज़ार बिक्री योजना के तहत (OMSS) के तहत 20 लाख टन अतिरिक्त गेहूं खुले बाज़ार में लाएगा। यह स्टॉक ई-नीलामी के माध्यम से आटा मिलों/निजी व्यापारियों/थोक खरीदारों/गेहूं उत्पादों के निर्माताओं को बेचने के लिए होगा।
महंगाई कम करने के लिए सरकार का प्रयास
सूत्रों से खबर मिली है कि गेहूं के स्टॉक को खुले बाज़ार में बेचने का फैसला मंत्रियों के एक समूह का था। अब तक ओएमएसएस के तहत 50 लाख टन गेहूं बेचने का फैसला लिया गया है। 20 लाख टन गेहूं की अतिरिक्त बिक्री की जाएगी जिससे आरक्षित मूल्यों में कमी आएगी। सरकार के इस फैसले से आम जनता के लिए गेहूं की कीमतों को कम करने में मदद मिलेगी। केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने हाल ही में हुई ई नीलामी के दूसरे दौर में स्टॉक में हुई बढ़ोतरी की समीक्षा करने के लिए एफसीआई तथा आटा मिलों/विभिन्न संघों/महासंघों/सूजी उत्पाद निर्माताओं के प्रतिनिधियों के साथ एक ऑनलाइन बैठक की।
कीमतों में कितनी गिरावट आएगी ?
गेहूं तथा अन्य उत्पादों की बाज़ारी कीमतों में कमी के अनुरूप ही आटा मिलों की कीमतों(Wheat Price) में कटौती करने को कहा गया है। खाद्य मंत्रालय ने कहा है कि ओएमएसएस नीति की घोषणा के बाद ही गेहूं और आटे की कीमतें कम हुई हैं। लेकिन 2023 के जनवरी महीने के आँकड़ें को देखें तो महंगाई 6.52 प्रतिशत के साथ तीन महीने के सबसे ऊँचे स्तर पर है। सरकार द्वारा जारी किए गए आँकड़ों के मुताबिक़ सोमवार को गेहूं की औसत कीमतें 33.15 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जबकि पिसे हुए आटे की कीमत 37.63 रुपये प्रति किलोग्राम थी। पिछले महीने भी सरकार ने अपने बफर स्टॉक में से 30 लाख टन गेहूं बेचने की घोषणा की थी।
यही नहीं सरकार तीन लाख टन गेहूं को आटे में परिवर्तित करने के लिए संस्थाओं और राज्य सार्वजनिक उपक्रमों को रियायती दरों(Wheat Price) पर उपलब्ध करवा रही है। ई नीलामी के दौर में 13 लाख टन गेहूं बेचा गया है। एफसीआई 22 फरवरी को तीसरी ई नीलामी के दौरान 11.72 लाख टन गेहूं की बिक्री करेगी। पिछले सप्ताह भी मंत्रालय ने उचित गुणवत्ता वाले गेहूं का आरक्षित मूल्य घटाकर 2,150 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया। वहीं कम गुणवत्ता वाले गेहूं के लिए यह मूल्य 2,125 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया। ये सभी आरक्षित मूल्य ई नीलामी के ज़रिए गेहूं की तीसरे दौर की बिक्री(Wheat Price) से लागू होंगे।
बढ़ते तापमान की सता रही है चिंता-Wheat Price
इसके अलावा, एनसीसीएफ/नेफेड/केन्द्रीय भंडार/राज्य सरकार सहकारी समितियों/महासंघों के साथ-साथ सामुदायिक रसोई/धर्मार्थ संस्थाओं/गैर-सरकारी संगठनों आदि को गेहूं बेचकर उसे आटा बनाने के लिए गेहूं की बढ़ती दरों में कटौती करते हुए 21.50 रुपये प्रति किलो कर दी गई है। लेकिन इसे उपभोक्ताओं को 27.50 रुपये प्रति किलो की दर से बेचने की लिए कहा गया है। गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार ने पिछले साल मई के महीने में रोक लगा दी थी। भारत का गेहूं उत्पादन फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) में पिछले वर्ष के 10 करोड़ 95.9 लाख टन से घटकर 10 करोड़ 77.4 लाख टन रह गया।
इस साल गेहूं की खरीद में भारी गिरावट दर्ज की गई है। पिछले साल गेहूं की खरीद 4.3 करोड़ टन थी जो अब घट कर केवल 1.9 करोड़ टन ही रह गई है। वर्ष 2022 – 2023 में गेहूं का उत्पादन बढ़ने की संभावना जताई जा रही है और कहा जा रहा है कि यह उत्पादन 11 करोड़ 21.8 लाख टन तक बढ़ सकता है। लेकिन इस मामले में तापमान किसानों और कृषि वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। सरकार ने तापमान में समान्य वृद्धि होने पर गेहूं की फसल पर इसके प्रभाव का जायज़ा लेने के लिए एक समिति का गठन किया है। इसके लिए सरकार ने ज़रूरी कदम उठाते हुए किसानों के लिए सलाह भी जारी की है।
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