गणतंत्र दिवस 2025 (Republic Day 2025) के अवसर पर भारत सरकार ने समाज के उन 30 गुमनाम नायकों को पद्मश्री से सम्मानित किया जायेगा, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में असाधारण योगदान दिया है। ये नायक बिना किसी मान्यता या चर्चा के अपने कार्यों से देश और समाज को बेहतर बनाने में जुटे रहे।
कौन हैं ये गुमनाम नायक? – Who are these unsung heroes?
पद्मश्री से सम्मानित इन 30 नायकों में विभिन्न क्षेत्रों जैसे शिक्षा, चिकित्सा, पर्यावरण संरक्षण, महिला सशक्तिकरण, आदिवासी कल्याण और कला व संस्कृति में योगदान देने वाले लोग शामिल हैं।
- पर्यावरण योद्धा: मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव के रमेश ठाकुर ने 20 सालों में 200 एकड़ जमीन पर जंगल उगाया, जो अब वन्यजीवों का घर है।
- शिक्षा में क्रांति: झारखंड की शिक्षिका कविता देवी ने सुदूर गांवों में शिक्षा का अलख जगाते हुए 500 से अधिक बच्चों को शिक्षित किया।
- आदिवासी कला के संरक्षक: ओडिशा के जयंत माझी ने विलुप्त होती आदिवासी लोककला को न केवल संरक्षित किया, बल्कि इसे वैश्विक मंच पर पहुंचाया।
इनकी कहानियां प्रेरणा हैं – Their stories are inspiration
राष्ट्रपति भवन में आयोजित विशेष समारोह में इन नायकों को राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया। प्रधानमंत्री ने भी इन नायकों की सराहना करते हुए कहा, “ये नायक हमारे समाज के असली स्तंभ हैं। इनकी कहानियां हमें सिखाती हैं कि बदलाव के लिए जुनून और समर्पण सबसे बड़ी ताकत है।”
अनसुनी कहानियों को मंच – Platform for unheard stories
इस वर्ष का पद्म पुरस्कार समारोह खास इसलिए भी रहा क्योंकि इसमें उन लोगों को सम्मानित किया गया जो बिना किसी प्रसिद्धि के अपने क्षेत्रों में चुपचाप क्रांति ला रहे हैं।
इन नायकों को पहचान देकर सरकार ने यह संदेश दिया है कि असली नायक वही हैं, जो निस्वार्थ भाव से समाज की सेवा करते हैं। यह पहल देश के युवाओं को प्रेरित करेगी कि वे भी अपने क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करें।