27 सितंबर 2025 को 85,836 पर था, लेकिन बीते महीनों में यह आंकड़ा गिर कर सीधे 75 हजार के नजदीक जा पहुँच है
जनवरी से अब तक एफपीआई ने 69 हजार करोड़ की बिकवाली की है, वहीं घरेलू संस्थागत निवेशक(mutual funds) ने 67 हजार करोड़ की खरीद की जिससे बाजार को सहारा मिला।
यूं तो बाजार में हर तरफ बिकवाली है, लेकिन सबसे ज्यादा छोटे और मँझले (smallcap and midcap) में गिरावट देखने को मिलती है। सोमवार को मिडकैप 3 फीसदी तक टूट साथ ही स्मॉलकैप में 4 फीसदी तक टूटा।
बाज़ार अभी दो अहम घटनाओं पर टिकटिकी लगाए हुए है। पहला, 29 जनवरी को अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिज़र्व की बैठक में ब्याज दरों को लेकर क्या फ़ैसला होता है। दूसरा भारत का केंद्रीय बजट जो एक फ़रवरी को संसद में पेश होगा
अमेरिका के फेडरल बैंक की ब्याज डरे बढ़ने से सभी देशों को में हलचल हो सकती है, वैसे भी विदेशी निवेशकों ने भारत समेत कई उभरते बाज़ारों की छुट्टी कर दी है और इस सूरत में वो अधिक और सुरक्षित रिटर्न की चाह में अमेरिका का रुख़ करने में देरी नहीं करेंगे। डी आर फिनर्व के मैनेजर देवेन चोकसी से बात करने पर उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप का जो रुख़ रहा है उसके हिसाब से वो नहीं चाहेंगे कि फेडरल रिज़र्व ब्याज दरें बढ़ाए।