कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने भारत पर प्रतिबंध लगाने की परोक्ष धमकी (Canada threatened to impose sanctions on India) दी है। भारतीय अधिकारी इस धमकी को अभी दूर की कौड़ी बता रहे हैं लेकिन अगर कनाडा सरकार भारत के साथ बिगड़ते कूटनीतिक रिश्ते के अगले कदम के तौर पर प्रतिबंध लगाने जैसा कोई कदम उठाती है तो यह दोनों देशों के मौजूदा आर्थिक संबंधों को भी बुरी तरह से प्रभावित करेगा।
प्रतिबंध की वजह से कनाडाई कंपनियों के लिए भारत में कारोबार करना मुश्किल हो जाएगा और भारत में निवेश करने करने वाले कनाडाई पेंशन फंड को भी यहां से अपने निवेश निकालने पड़ सकते हैं। वैसे पिछले साल से ही दोनों देशों के राजनीतिक रिश्ते खराब चल रहे हैं लेकिन द्विपक्षीय कारोबार पर अभी कोई उल्टा असर नहीं पड़ा है। हालांकि मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को लेकर चल रही वार्ता जरूर स्थगित कर दी गई है।
खलिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर हत्याकांड को लेकर मंगलवार को कनाडाई पीएम जस्टिन टूडो और विदेश मंत्री जोली ने प्रेस कांफ्रेंस की। इसमें जोली से यह पूछा गया कि क्या भारत पर प्रतिबंध भी लगाया जा सकता है तो उनका जवाब था ‘आज हमने एक बड़ा कदम उठाया है। हमारे पास जो विकल्प थे उनमें राजनयिकों को निष्कासित करना सबसे कड़ा कदम है जो किसी भी देश के खिलाफ उठाया जा सकता है। वैसे हमारे पास सारे विकल्प खुले हैं।’
विदेश मंत्री जोली से पहले टूडो सरकार में पूर्व सहयोगी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के मुखिया जगमीत सिंह ने भी भारत पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है। उन्होंने कनाडा में आरएसएस को प्रतिबंधित करने की भी बात कही है।
भारतीय अधिकारियों ने कनाडाई विदेश मंत्री की उक्त धमकी को लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन अगर ऐसा होता है तो इसका दोनों देशों के आर्थिक संबंधों पर बड़ा असर हो सकता है। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2019 से 2023 के बीच कनाडा की कंपनियों ने भारत में कुल 11.9 अरब डालर का निवेश किया है। हाल के वर्षों मे कनाडा के पेंशन फंड्स ने भारत के ढांचागत क्षेत्रों में काफी निवेश करना शुरू किया है। इन सभी निवेशों पर किसी भी तरह के संभावित प्रतिबंधों का असर हो सकता है। अगर मौजूदा विवाद और आगे बढ़ता है तो इसका आर्थिक प्रभाव दोनों और देखने को मिलेगा।
जानकारों का कहना है कि भारत पर प्रतिबंध लगाने का कदम कई आर्थिक चुनौतियों से जूझ रही कनाडाई इकोनमी के लिए उल्टा पड़ सकता है। इससे दोनों देशों के बीच कारोबारी युद्ध की शुरुआत हो सकती है। कनाडा दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ती इकोनमी में निवेश करने से वंचित रह सकता है। प्रतिबंध का स्वरूप व्यापक होने पर उन कंपनियों पर भी असर हो सकता है जो भारत और कनाडा दोनों देशों में कारोबार करती हैं। इससे भी कनाडा की आर्थिक चुनैतियां बढ़ेंगी।
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