जलवायु परिवर्तन, बढ़ती समस्या – Climate change, growing problem

लेह-लद्दाख में बढ़ते तापमान के कारण पिघलने लगे ग्लेशियर, हो सकती है पानी की कमी - Due to rising temperature in Leh-Ladakh, glaciers start melting, there may be water shortage.

लद्दाख जैसे क्षेत्रों में भी गर्मी अपना प्रचंड तेवर दिखा रही है। बढ़ती गर्मी के कारण ग्लेशियर पिघलते गए रहे हैं। मंगलवार 30 जुलाई को लद्दाख में तापमान 30.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। लद्दाख आईएमडी निदेशक सोनम लोटस ने बताया कि तीव्र गर्मी ग्लेशियरों को नुकसान पहुंचा सकती है। उन्होंने आने वाले दिनों में संभावित फ्लैश फ्लड के बारे में चेतावनी जारी की। जुलाई-अगस्त महीनों में उच्च तापमान सामान्य है, लेकिन तेजी से वृद्धि चिंता का विषय है।

पर्यटकों को करना पड़ रहा है दिक्कतों का सामना - Tourists are facing problems    

लेह-लद्दाख में पर्यटकों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ रहा है। सड़कों का डामर तक पिघल रहा है! कारगिल विजय दिवस मनाने गए पर्यटकों ने बताया कि सड़कों पर डामर के बुलबुले उठ रहे थे। यहाँ तक की, तुर्तुक गांव के पास एक पुल जो पहले कभी पानी से नहीं घिरा था, अब पानी से घिरा हुआ है। उधर, बढ़ती गर्मी  की चिंता बढ़ा दी है क्योंकि तरह से ग्लेशियर पिघल रहे हैं उससे यहां पानी की कमी हो सकती है। आईएमडी के लेह निदेशक सोनम लोटस ने कहा कि लेह में इतनी गर्मी होना चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि जुलाई-अगस्त लेह के लिए सबसे गर्म महीने होते हैं, लेकिन तापमान में इतनी तेजी से वृद्धि ग्लेशियरों के लिए खतरा है। 

क्या है आईएमडी निदेशक का कहना - What does the IMD director say?

आईएमडी के लेह निदेशक सोनम लोटस के अनुसार लेह एक ठंडा रेगिस्तान है, लेकिन यहां हमेशा ठंड नहीं रहती है। दिसंबर-जनवरी में यहां बहुत अधिक ठंड पड़ने के कारण तापमान -20 या -25 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। लेकिन जुलाई-अगस्त में यहां तापमान में हल्की गर्मी हो जाती है। कारगिल में लेह से 2-3 डिग्री ज्यादा तापमान रहता है। इस बार लेह में सबसे ज्यादा तापमान 33.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। 28 जुलाई को कारगिल में सबसे ज्यादा तापमान 37.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।  जुलाई-अगस्त में हमेशा गर्मी पड़ती है। खासकर जुलाई के दूसरे सप्ताह से अगस्त के मध्य तक लगभग 45 दिनों तक ऐसा ही मौसम रहता है।