दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे अगले वर्ष से खुलेगा

दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे अगले वर्ष से खुलेगा
Image Source : RajyaSeemkasha

तकनीकी और विभागीय बाधाएं दूर होने के बाद अब दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे को रिकॉर्ड समय में
तैयार किए जाने की योजना है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) ने इसे पूरा करने के
लिए नई समय सीमा तय की है।

पहले मार्च 2024 तक एक्सप्रेसवे को तैयार किए जाने का लक्ष्य था, जिसे दिसंबर 2023 कर दिया गया
है। प्रोजेक्ट नई समय सीमा के अंदर पूरी हो, इसके नियमित रूप से निर्माण स्थिति की समीक्षा की
जाएगी। एनएचएआई के वरिष्ठ अधिकारी सप्ताह में एक बार परियोजना का मौका मुआयना करेंगे। साथ
ही हर महीने सात से आठ फीसदी निर्माण पूरा करना होगा।

इन्हें जोड़ेगा दिल्ली में अक्षरधाम मेट्रो स्टेशन के सामने से शुरू होकर लोनी बॉर्डर होते हुए बागपत में
ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे को यह एक्सप्रेसवे जोड़ेगा। पहले चरण में 14.75 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेसवे
का निर्माण दिल्ली सीमा में होना है। इसमें से करीब 95 फीसदी हिस्सा एलिवेटेड होगा। तय समय सीमा
के हिसाब से प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य मार्च 2021 में शुरू होना था, लेकिन पर्यावरण और अन्य
विभागीय मंजूरी मिलने में देरी के चलते प्रोजेक्ट अभी करीब डेढ़ महीने पहले शुरू हो पाया है। उधर,
दूसरे चरण में यूपी (गाजियाबाद) की सीमा में भी करीब 15 किलोमीटर लंबे हिस्से का निर्माण होना है।
इसका काम तय समय पर शुरू हुआ था लेकिन बीच में करीब आठ महीने तक निर्माण एजेंसी की ओर
से काम बंद रखा गया था। एनएचएआई का दावा है कि अब इसका निर्माण कार्य पूरी गति से चल रहा
है।

दिल्ली की सीमा में 12 लेन की सड़क होगी उपलब्ध जाम के लिहाज से दिल्ली में एक्सप्रेसवे काफी
अहम साबित होगा। क्योंकि दिल्ली की सीमा में छह लेन की एलिवेटेड रोड निर्माण के साथ ही उसके
नीचे छह लेन का नेशनल हाईवे-709बी भी बनाया जाएगा। दिल्ली की सीमा से बाहर जाने वाले वाहन
अक्षरधाम मेट्रो स्टेशन और आईएसबीटी की तरफ से वाले वाहनों को सीधे एक्सप्रेसवे पर चढ़ने की
सुविधा दी जाएगी। इसके बनने पूर्वी दिल्ली में प्रतिदिन करीब डेढ़ लाख वाहनों का दबाव कम होगा

पूर्वी दिल्ली को जाम से निजात मिलेगी

दिल्ली से देहरादून को जोड़ने वाले छह लेन एक्सप्रेसवे को पूर्वी दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड
के नजरिए से अहम माना जा रहा है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय का मानना है कि इसके
तैयार होने से पूर्वी दिल्ली को जाम से निजात मिलेगी, वहीं उत्तराखंड और दिल्ली के बीच पश्चिमी यूपी
की सीमा में उद्योगों को स्थापित करने में मदद मिलेगी। इस लिहाज से ही पूरे प्रोजेक्ट को आर्थिक
गलियारे का नाम दिया गया है।

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