नेपाल में हाल ही में पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के स्वागत में आयोजित रैली के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पोस्टर दिखाई देने से राजनीतिक विवाद उत्पन्न हो गया है। रविवार, 9 मार्च 2025 को काठमांडू के त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर ज्ञानेंद्र शाह के आगमन पर हजारों समर्थकों ने उनका स्वागत किया। इस दौरान कुछ समर्थकों ने योगी आदित्यनाथ के पोस्टर भी लहराए, जिससे नेपाल की राजनीति में हलचल मच गई।
नेपाल में राजशाही समर्थक दल, विशेष रूप से राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी), वर्तमान लोकतांत्रिक व्यवस्था से असंतुष्ट होकर राजशाही की पुनर्स्थापना की मांग कर रहे हैं। योगी आदित्यनाथ के पोस्टरों के प्रकट होने से यह संदेह उत्पन्न हुआ कि भारत नेपाल की आंतरिक राजनीति में हस्तक्षेप कर रहा है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के समर्थकों ने इसे भारत की साजिश करार दिया, जबकि आरपीपी ने इस आरोप का खंडन करते हुए कहा कि यह ओली सरकार की साजिश है।
रैली के आयोजकों का कहना है कि योगी आदित्यनाथ के पोस्टरों के उपयोग की न तो आधिकारिक मंजूरी थी और न ही उन्हें इसके बारे में जानकारी थी। उन्होंने केवल राष्ट्रीय ध्वज और ज्ञानेंद्र शाह की तस्वीरों के उपयोग का निर्देश दिया था। नेपाल के राजपरिवार और गोरखनाथ मठ के बीच गहरे संबंध हैं, क्योंकि माना जाता है कि शाह वंश को गुरु गोरखनाथ का आशीर्वाद प्राप्त था। वर्तमान में गोरखनाथ मठ के प्रमुख योगी आदित्यनाथ हैं, जिससे उनके पोस्टरों का प्रकट होना नेपाल की राजनीति में चर्चा का विषय बन गया है।
यह घटना नेपाल में राजशाही की बहाली और हिंदू राष्ट्र की मांग के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, जिससे नेपाल की राजनीति में अस्थिरता और विभाजन की स्थिति उत्पन्न हो रही है।