‘नफ़रत फैलाने के लिए पाकिस्तान शब्द का इस्तेमाल’, कपिल मिश्रा पर कोर्ट ने क्या-क्या कहा?

hAFUBAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAALwGsYoAAaRlbhAAAAAASUVORK5CYII= 'नफ़रत फैलाने के लिए पाकिस्तान शब्द का इस्तेमाल', कपिल मिश्रा पर कोर्ट ने क्या-क्या कहा?

दिल्ली की रेखा गुप्ता सरकार में मंत्री और बीजेपी नेता कपिल मिश्रा को एक अदालत ने ‘हेट स्पीच’ से जुड़े मामले में झटका दिया है। साथ ही कोर्ट ने बीजेपी नेता की ओर से दी गई जल्द पुनर्विचार की याचिका को भी ख़ारिज कर दिया है

कोर्ट ने कहा कि कपिल मिश्रा ने बेहद कुशलता से अपने बयानों में नफ़रत फैलाने, लापरवाही बरतते हुए सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने के लिए ‘पाकिस्तान’ शब्द का इस्तेमाल किया, ताकि इससे चुनाव में वोट मिलें।

ये मामला साल 2020 में उनके एक ट्वीट के आधार पर दर्ज की गई प्राथमिकी से जुड़ा है। इस मामले में उन्हें एडिशनल चीफ़ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था। कपिल मिश्रा ने इसी याचिका को चुनौती दी थी।

इस पूरे मामले में कपिल मिश्रा दावा करते रहे हैं कि उनके बयानों में उन्होंने किसी जाति, समुदाय या धर्म को निशाना नहीं बनाया था।

स्पेशल जज जितेंद्र सिंह ने इस मामले में शुक्रवार को दिए अपने आदेश में कहा, “ये अदालत निचली अदालत की बात से सहमत है कि रिटर्निंग अधिकारी की दायर की गई शिकायत, चुनाव आयोग का नोटिफ़िकेशन और अन्य दस्तावेज़, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125 के तहत इस दंडनीय अपराध का संज्ञान लेने के लिए पर्याप्त हैं। इसलिए, इसके अनुसार जल्द पुनर्विचार की याचिका को खारिज किया जाता है।”

कोर्ट ने कहा कि उनकी ये दलील “बेतुकी है और पूरी तरह से अस्वीकार्य है, कथित बयान में एक ख़ास देश को इंगित करते हुए संदर्भ दिया गया था वो एक ख़ास समुदाय के लोगों की तरफ स्पष्ट संकेत था, जो साफ तौर पर धार्मिक समुदायों के बीच दुश्मनी पैदा करने के लिए था।

कोर्ट ने कहा कि “समझदार व्यक्ति की बात छोड़ दें तो आसानी से आम आदमी भी ये इशारा समझ सकता है।”

कोर्ट ने कहा कि उनकी दलील को स्वीकार करना “लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125 के तहत प्रावधान की भावना का उल्लंघन और उसके साथ क्रूर हिंसा करने जैसा होगा।”

कपिल मिश्रा के बयानों पर कोर्ट ने कहा “उनके बयानों का उद्देश्य जो चुनाव प्रक्रिया के दौरान दिए गए, कुछ सामाजिक तत्वों का ध्यान अपनी तरफ खींचना और नागरिकता (संशोधन) क़ानून विरोधी आंदोलन की आड़ में दिल्ली के शांत माहौल को बिगाड़ना था।”

कोर्ट ने कहा कि “ये आम है कि चुनावों के दौरान उम्मीदवार और पार्टियां अपने विरोधियों की भूमिका और स्टैंड सामने लाने के लिए कुछ राजनीतिक बयान देते हैं।लेकिन ये देखा जाना चाहिए कि इस तरह के बयान ऐसा असर डाल सकते हैं जिससे क़ानून व्यवस्था की समस्या खड़ी हो सकती है।”

कोर्ट ने ये भी कहा कि चुनाव आयोग का ये संवैधानिक दायित्व है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए और इस दौरान माहौल ख़राब होने से बचाने के लिए वो उम्मीदवारों को तीखे शब्दों के इस्तेमाल से रोक सकती है।

जज ने अपने आदेश में कहा, “इस देश में ये ट्रेंड बन गया है कि चुनाव के वक्त वोट हासिल करने के लिए सांप्रदायिक बयानबाज़ी का सहारा लिया जाता है।”

“ये विभाजन की राजनीति और बहिष्कार की राजनीति का नतीजा है जो देश की गणतांत्रिक और अनेकता का जो ढांचा है, उसके लिए ख़तरा है।”

“ये दुख की बात है कि उपनिवेशवाद के दौर की फूट डालो और शासन करो की नीति का भारत में अभी भी इस्तेमाल होता है।”

अन्य खबरें

Total
0
Shares
Leave a Reply
Previous Post
अग्निवीर योजना में होंगे बदलाव, सेना प्रमुख ने बताया किन-किन चीजों पर हो रहा विचार

अग्निवीर योजना में होंगे बदलाव, सेना प्रमुख ने बताया किन-किन चीजों पर हो रहा विचार

Next Post
भारतीय टीम को झटका… चैम्पियंस ट्रॉफी फाइनल से पहले विराट कोहली चोटिल !

भारतीय टीम को झटका… चैम्पियंस ट्रॉफी फाइनल से पहले विराट कोहली चोटिल !

Related Posts
Total
0
Share