सकुशल संपन्न हुई पुलिस भर्ती परीक्षा – Police recruitment examination completed successfully

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वो कहते हैं ना कि ‘दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंककर पीता है।’ योगी सरकार के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बनी पुलिस भर्ती में यह कहावत चरित्रार्थ होते हुई प्रतीत हुई। अब जबकि परीक्षा संपन्न हो गई है तो यह कहा जा सकता है कि इस माडल को सभी भर्तियों में अपनाया जाएगा। निष्पक्ष, पारदर्शी एवं शंतिपूर्ण ढंग से सिविल पुलिस भर्ती परीक्षा को सफलतापूर्वक संपन्न कराकर योगी सरकार ने न केवल आए दिन पेपर लीक से युवाओं में उज्ज्वल भविष्य की उम्मीद जगाई है, बल्कि इस मुद्दे पर विपक्ष की बोलती भी बंद कर दी है। कानून-व्यवस्था से खिलवाड़ करने वालों पर नकेल कसने के लिए दूसरे राज्यों को ‘बुलडोजर’ माडल देने वाली योगी सरकार का यह भर्ती माडल देश के लिए नजीर बनेगा।

फरवरी में लीक हुई थी परीक्षा – The exam was leaked in February 

लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने से पहले फरवरी में सिपाही और आरओ/एआरओ भर्ती परीक्षा के पेपर लीक हो गए थे। एक के बाद एक दो बड़ी परीक्षाओं के पेपर लीक होने से पूरे तंत्र पर सवाल तो उठे ही, विपक्षी दलों को सरकार को घेरने का बड़ा मौका मिल गया था। परीक्षा रद होने से लगभग 60 लाख नौजवानों और उनके परिवारों की नाराजगी का खामियाजा लोकसभा चुनाव में सत्ताधारी भाजपा को भुगतना पड़ा। नतीजा यह रहा कि भाजपा के 64 से घटकर 33 सांसद रह गए। 

पेपर लीक ने बढ़ाई प्रदेश में भाजपा की मुश्किलें – Paper leak increases BJP’s problems in the state 

सिपाही- आरओ/एआरओ ही नहीं, उससे पहले दारोगा भर्ती, अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी), एसएससी की मल्टी टास्किंग स्टाफ परीक्षा, हाई कोर्ट की ग्रुप सी व डी की परीक्षा, यूपीपीसीएल की अवर अभियंता आदि की आनलाइन भर्ती परीक्षाओं में भी साल्वर गिरोह की सेंधमारी ने सरकार के प्रति बेरोजगार युवाओं के आक्रोश को बढ़ाया।

इसे देखते हुए योगी सरकार ने भर्ती परीक्षाओं को पेपर लीक की ‘काली छाया’ से बचाने का ‘फूलप्रूफ’ माडल बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया। भर्ती प्रक्रिया में आमूल-चूल परिवर्तन करने के साथ ही पेपर लीक में लिप्त साल्वर गिरोहों पर शिकंजा कसने के लिए उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) 2024 जैसा बेहद कड़ा कानून बनाया। पेपर लीक करने की हिमाकत करने वालों का पूरा जीवन सलाखों के पीछे ही गुजरने और दोषियों के परिवार को सड़क पर लाने के प्रविधान किए गए। एक करोड़ रुपये के जुर्माने, संपत्ति कुर्क करने और घर पर ‘बुलडोजर’ चलाने के साथ ही पेपर लीक से परीक्षा रद होने की दशा में साल्वर गिरोह से ही परीक्षा का पूरा खर्चा वसूलने जैसी बात कानून में कही गई। नए कानून और बदली प्रक्रिया के अनुसार 60,244 पढ़ें के लिए राज्य में पिछले सप्ताह पुलिस भर्ती की फिर परीक्षा कराई गई। 

परीक्षा में लगभग 34 लाख अभ्यर्थियों ने भाग लिया। बिहार से लेकर मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, झारखंड व उत्तराखंड आदि राज्यों के लाखों अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए। परीक्षा में कड़ी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) के साथ ही पुलिस एसटीएफ के माध्यम से सख्त निगरानी के प्रबंध किए गए। बड़े शहरों के केवल सरकारी व सहायता प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों में ही परीक्षा केंद्र बनाए गए। अभ्यर्थियों का डाटा एनालिसिस कराया गया। परीक्षा केंद्रों के रास्तों पर भी सीसीटीवी कैमरों से नजर रखी गई। हाट स्पाट की ड्रोन से निगरानी की गई। फोटो कापी मशीन की दुकानें व साइबर कैफे परीक्षा के दौरान बंद कराए गए। इलेक्ट्रानिक उपकरणों को निष्क्रिय करने के लिए जैमर लगाने से लेकर केंद्रीय पुलिस बल को भी तैनात किया गया। एक पाली में अधिकतम पांच लाख अभ्यर्थियों को ही रखा गया। परीक्षा केंद्र में प्रवेश से पहले अभ्यर्थियों की डिजिटल फोटो कैप्चरिंग, चेहरे की पहचान, बायोमीट्रिक जांच और रियल टाइम आधार सत्यापन किया गया।

परिंदा भी पर मारने की नहीं कर सका हिमाकत – Even the bird could not muster the courage to kill.

डीएम की भूमिका तय करके ट्रेजरी में प्रश्नपत्र की कड़ी सुरक्षा सुनिश्चित कराई गई। प्रश्नपत्र को ट्रेजरी और वहां से परीक्षा केंद्रों तक पहुंचाने के लिए वरिष्ठ पुलिस-प्रशासनिक अफसरों की टीमें बनाने के साथ ही विभिन्न स्तर पर कोडवर्ड के जरिए गोपनीयता बरती गई। एक दशक के दौरान परीक्षाओं में गढ़बड़ी करने वाले डेढ़ हजार से ज्यादा आरोपितों पर पुलिस ने नजर रखी। एक माह तक इंटरनेट मीडिया की भी निगरानी कराई गई। इस तरह से योगी सरकार पुलिस की विशाल भर्ती परीक्षा बिना किसी बड़े व्यवधान के बेदग कराने में उत्तीर्ण रही है। ऐसे में अब दावा किया जा रहा है कि योगी सरकार के इस ‘फूलप्रूफ’ माडल से दूसरी भर्ती परीक्षाओं के भी न पेपर लीक होंगे और न ही किसी तरह की धांधली होगी। होनहार नौजवानों को सरकारी नौकरी मिलने से जहां उनकी योगी सरकार से नाराजगी खत्म होगी, वहीं विपक्ष को भी पेपर लीक के मुद्दे पर भाजपा सरकार को घेरने का मौका नहीं मिलेगा।

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