कांग्रेस की आंतरिक लड़ाई खुलकर सामने आ गई है। अब सवाल है कि शशि थरूर कांग्रेस से नाराज हैं या पार्टी उनसे?
शशि थरूर ने पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की सराहना करते हुए कहा था कि मुझे लगता है कि इसके नतीजे बहुत अच्छे हैं। पीएम मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति से मुलाकात करने वाले चौथे नेता हैं, ये भारत की वैश्विक स्थिति को दर्शाता है। उन्होंने एक लेख में निवेश के अनुकूल नीतियों और स्टार्टअप इनिशिएटिव के लिए केरल की लेफ्ट सरकार की भी तारीफ की थी। पीएम मोदी के अमेरिका दौरे और लेफ्ट सरकार के कामकाज की तारीफ करने के बाद लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शशि थरूर को तलब किया था।
शशि थरूर ने 18 फरवरी को राहुल गांधी से मुलाकात की थी। राहुल गांधी से मुलाकात के बाद शशि थरूर हत्थे से उखड़े नजर आ रहे हैं। उन्होंने अब ये तक कह दिया है कि अगर पार्टी को मेरी जरूरत नहीं है तो मेरे पास अन्य विकल्प भी हैं। शशि थरूर ने केरल में नए मतदाताओं को कांग्रेस से जोड़ने, अपना वोटर बेस बढ़ाने का आह्वान करते हुए यह भी कहा था कि पार्टी की केरल यूनिट को एक अच्छे लीडर की जरूरत है। उन्होंने स्वतंत्र संगठनों की ओर से कराए गए सर्वे का हवाला देते हुए नेतृत्व के लिए लगे हाथ अपनी दावेदारी भी ठोक दी।
थरूर कांग्रेस से नाराज़ हैं कांग्रेस थरूर से?
शशि थरूर के इस बयान कि पार्टी को मेरी जरूरत नहीं तो अन्य विकल्प भी हैं,
शशि थरूर पिछले कुछ समय से हाशिए पर चल रहे हैं। वह सीडब्ल्यूसी में हैं लेकिन कोई एक्टिव रोल नहीं है। शशि थरूर ने पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव लड़ा और अब 2026 के केरल चुनाव से पहले नेतृत्व की जरूरत बता इसके लिए सर्वे में लोकप्रियता के आधार पर अपनी दावेदारी भी ठोक दी है।
केसी वेणुगोपाल, राहुल गांधी और गांधी परिवार के करीबियों में गिने जाते हैं। राहुल गांधी से मुलाकात के दौरान शशि थरूर ने पार्टी में अनदेखा किए जाने की शिकायत करते हुए अपनी भूमिका स्पष्ट करने की मांग की है। विपक्ष के नेता से हुई मुलाकात के बाद शशि थरूर ने सोशल मीडिया पर अंग्रेजी कवि थॉमस ग्रे की एक कविता का कोट शेयर किया था- ‘जहां अज्ञानता आनंद है, वहाँ बुद्धिमान होना मूर्खता है’। इसे भी कांग्रेस से जोड़कर ही देखा गया।