जेपीसी की पिछली बैठक के दौरान हंगामे के बाद 10 विपक्षी सांसदों को एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया था, 44 में से 14 प्रस्तावों को मिली बिल में स्वीकृति।
संयुक्त संसदीय समिति द्वारा आज (27 जनवरी 2025)वक्फ बिल को मंजूरी मिली, इस बिल को पिछले वर्ष अगस्त 2024 में कुछ बदलावों के साथ संसद में पेश किया गया।
जगदंबिका पाल ने बातचीत में कहा, ” 44 संशोधनों पर चर्चा की गई। 6 महीने तक विस्तृत चर्चा के बाद, हमने सभी सदस्यों से संशोधन मांगे। यह हमारी अंतिम बैठक थी इसलिए, बहुमत के आधार पर समिति द्वारा 14 संशोधनों को स्वीकार किया गया है। विपक्ष ने भी संशोधन सुझाए थे। हमने उनमें से प्रत्येक संशोधन को आगे बढ़ाया और उस पर मतदान हुआ, लेकिन उनके (सुझाए गए संशोधनों) के समर्थन में 10 वोट पड़े और इसके विरोध में 16 वोट पड़े और वो मंजूर नहीं किया गया। “
वक्फ संपत्ति के नियमितीकरण के लिए बने वक्फ 1995 एक्ट में भ्रष्टाचार, अतिक्रमण, जैसी समस्यों को लेकर इसकी आलोचना की जाती रही है। 24 जनवरी को जेपीसी की बैठक में सदस्यों ने हंगामा किया और कहा कि उन्हें ड्राफ्ट के प्रस्ताव पर रिसर्च करने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल है। बीजेपी दिल्ली के चुनाओं को ध्यान में रखते हुए वक्फ संशोधन विधेयक पर रिपोर्ट को संसद में जल्दी पेश करने पर जोर दे रही है।
यह वक्फ की संपत्ति हड़पने की कोशिश है?
पिछली बैठक में हंगामे के बाद कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने आईएएनएस से बातचीत के दौरान कहा था, “संसदीय परंपराओं का पालन नहीं किया जा रहा और यह विधेयक पूरी तरह से समय के खिलाफ है। यह वक्फ की संपत्तियों को हड़पने की एक साजिश प्रतीत हो रही है और इसके माध्यम से देश में नफरत फैलाने की योजना बनाई जा रही है। हमने स्पीकर साहब से सवाल किया कि इतनी जल्दबाजी क्यों है, जबकि इस विधेयक को सत्र के आखिरी दिन, यानी 4 अप्रैल तक रखा जा सकता था। उन्हें यह आशंका है कि इस तरह की जल्दबाजी से सभी पक्षों को अपनी बात रखने का उचित समय नहीं मिलेगा।”
जेपीसी की बैठक के दौरान संसद में हंगामे को बाद 10 विपक्षियों को सांसदों को निलंबित किया। निलंबित सांसदों में कल्याण बनर्जी, मोहम्मद जावेद, ए. राजा, असदुद्दीन ओवैसी, नासिर हुसैन, मोहिबुल्लाह नदवी, एम. अब्दुल्ला, अरविंद सावंत, नदीमुल हक और इमरान मसूद शामिल थे।