आंबेडकर यूनिवर्सिटी में क्यों हो रही है हड़ताल?

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14 अक्टूबर (भीमराव आंबेडकर की जयंती), दिल्ली की आंबेडकर यूनिवर्सिटी का कैंपस।

यूनिवर्सिटी का कैंपस भारत के संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की जयंती पर सरकारी छुट्टी की वजह से बंद है।

गेट पर ताला लगा है और कई गार्ड तैनात हैं। उस पार एक बड़े पेड़ के नीचे छात्र संगठन स्टूडेंट फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया से जुड़े छात्र भूख हड़ताल पर बैठे हैं।

ये भूख हड़ताल पिछले आठ दिनों से चल रही है। आंबेडकर यूनिवर्सिटी में एक छात्रा के साथ कथित रैगिंग से शुरू हुआ विवाद अब लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए छात्र आंदोलन तक पहुंच गया है।

छात्रों का आरोप है कि बीते शुक्रवार को जब पांच छात्र नेताओं ने निलंबित छात्रों के समर्थन में प्रदर्शन किया तो उन्हें भी प्रशासन ने जांच पूरी होने तक निलंबित कर दिया।

वहीं, यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पांच और छात्रों को निलंबित करने के फ़ैसले का बचाव करते हुए दावा किया है कि प्रदर्शनकारी छात्रों ने यूनिवर्सिटी के वाहनों को नुक़सान पहुंचाया और सरकारी काम में बाधा डालने की कोशिश की।

समाचार एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए रजिस्ट्रार नवलेंद्र कुमार सिंह ने दावा किया कि छात्रों ने उनकी और वाइस चांसलर अनु सिंह लाठेर की कारों का रास्ता रोका।

रजिस्ट्रार ने दावा किया, “वो मेरी कार से लटक गए और वीसी की कार को आगे नहीं बढ़ने दिया। पुलिस और सुरक्षा गार्डों को दख़ल देना पड़ा। हमने पुलिस को शिकायत दी है और इस मामले में एफ़आईआर भी दर्ज करवाई जाएगी।”

रजिस्ट्रार ने मार्च में तीन छात्रों को निलंबित करने के बारे में कहा कि इन छात्रों को मीडिया में ग़लत बयान देने और एक संवेदनशील विषय पर राजनीति करने के लिए निलंबित किया गया था।

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हालांकि, प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि यूनिवर्सिटी ने जिन छात्रों को रैगिंग के आरोप में निलंबित किया था उन्हें तो बहाल कर दिया गया है, लेकिन रैगिंग के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वाले छात्रों का निलंबन बरक़रार रखा है।

वहीं शुक्रवार को निलंबित किए गए छात्रों ने रजिस्ट्रार के आरोपों को ख़ारिज करते हुए से कहा कि वो सिर्फ शांतिपूर्ण तरीक़े से अपनी बात कुलपति तक पहुंचाना चाहते थे।

एसएफ़आई की छात्रनेता और आंबेडकर यूनिवर्सिटी छात्र संघ की महासचिव शरण्या का कहना है कि “हम सिर्फ अपनी बात वीसी तक पहुंचाना चाहते थे। हमने उनसे मिलने का वक़्त मांगा था जो नहीं दिया गया। हमने लिखित में भी गुज़ारिश की थी, लेकिन हमारी कोई बात नहीं सुनी गई। जब हमने वीसी से अपनी बात कहनी चाही तो हमें पीटा गया और घसीटा गया।”

शरण्या का आरोप है कि मर्द सुरक्षाकर्मियों ने उनके साथ बदसलूकी की। इस घटनाक्रम के वीडियो में भी सुरक्षा गार्ड शरण्या को यूनिवर्सिटी के गेट से खींचते दिख रहे हैं।

ये छात्र मार्च में निलंबित किए गए तीन छात्रों नादिया, अनन और हर्ष के निलंबन को वापस लेने की मांग कर रहे थे।∎

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