आगरा में यमुना नदी में बाढ़ ने भयावह रूप धारण कर लिया है। केवल दिल्ली ही नहीं, यमुना के तट के समीप लगभग सभी स्थान डूबने के कागार पर हैं। इन्हीं में से एक है आगरा जिले में स्थित बटेश्वर मंदिर समूह। यमुना नदी के उफान से बटेश्वर की शिव मंदिर श्रृंखला पर बाढ़ के हालात बन चुके हैं। बाढ़ के पानी की ठोकर से निचले इलाके के मंदिरों पर भी खतरा मंडराने लगा है।
मीडिया रिपोर्ट्स में आ रही ख़बरों के अनुसार, 1978 में मंदिर का शिखर डूब गया था। खतरे को देखते हुए प्रशासन ने मंगलवार को मंदिर बाजार की दुकानें खाली करा लीं। बटेश्वर के अलावा कचौराघाट के प्राचीन शिव मंदिर में भी यमुना की बाढ़ का पानी घुस गया है। इसके अतिरिक्त, विक्रमपुर घाट स्थित मंदिर में भी पानी भर गया है।
इसके अलावा मथुरा में भी यमुना नदी के जल ने अपनी सीमायें लाँघ दीं हैं। यमुना किनारे बसे मथुरा-वृंदावन में बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं। यहां बांकेबिहारी मंदिर से 500 मीटर की दूरी पर यमुना बह रही है।
बटेश्वर धाम
यमुना नदी के किनारे बसा बटेश्वर धाम, यूपी के आगरा जिले की बाह तहसील में स्थित है। बटेश्वर धाम एक प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ स्थल भी है। बटेश्वर के घाटों पर स्थित मन्दिरों की संख्या 101 है।
यमुना नदी के तट पर 101 शिव मंदिर एक ही क्रम मे पंक्तिबद्ध निर्मित हैं, समय चक्र तथा रख-रखाव की कमी के कारण कुछ मंदिरों का अस्तित्व वर्तमान समय मे खरते मे पड़ा हुआ है। इन मंदिरों का निर्माण राजा बदन सिंह भदौरिया ने यमुना नदी के प्रवाह को मोड़ने के लिए बने बाँध पर किया था। बटेश्वर का उल्लेख रामायण, महाभारत और मत्स्य पुराण जैसे पवित्र ग्रंथों में भी मिलता है।
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