आशा पारेख (Asha Parekh) बॉलीवुड अभिनेत्री, निर्माता और निर्देशक हैं। वह 1959 से 1973 के बीच सर्वश्रेष्ठ सितारों में से एक थीं। 1992 में, उन्हें भारत सरकार द्वारा ‘पद्म श्री’ के साथ सम्मानित किया गया।
आशा पारेख जीवनी – Asha Parekh Biography
नाम | आशा पारेख |
जन्म | 2 अक्टूबर 1942 |
जन्म स्थान | मुंबई, महाराष्ट्र, भारत |
पिता | बच्चूभाई पारेख |
माता | सुधा |
पेशा | अभिनेत्री, निर्माता, नर्तकी |
महत्त्वपूर्ण उपलब्धि | भारतीय शास्त्रीय नृत्य में पारंगत |
पुरस्कार | पद्म श्री, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार |
10 साल की उम्र में शुरू की एक्टिंग – Started acting at the age of 10
आशा ने उस समय एक्टिंग की शुरुआत कर दी थी जब वे मात्र 10 साल की थीं। 1952 में रिलीज हुई फिल्म ‘आसमान’ में उन्होंने पहली बार बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट काम किया था। इसके बाद बिमल रॉय की फिल्म ‘बाप बेटी’ (1954) में उन्होंने काम किया, लेकिन इसकी असफलता ने उन्हें इस कदर निराश किया कि उन्होंने फिल्मों में काम न करने का फैसला ले लिया।
16 साल की उम्र में बॉलीवुड में वापसी का फैसला – Decision to return to Bollywood at the age of 16
आशा ने 16 साल की उम्र में फिल्मों में वापसी का फैसला लिया। वे विजय भट्ट की फिल्म ‘गूंज उठी शहनाई'(1959) में काम करना चाहती थीं, लेकिन डायरेक्टर ने उन्हें यह कहकर चांस नहीं दिया कि वे स्टार मटेरियल नहीं हैं। लेकिन, दूसरे ही दिन उन्हें प्रोड्यूसर सुबोध मुखर्जी और डायरेक्टर नासिर हुसैन ने अपनी फिल्म ‘दिल देके देखो'(1959) में साइन कर लिया। इस फिल्म में शम्मी कपूर उनके अपोजिट रोल में थे। फिल्म सुपरहिट साबित हुई और आशा रातों रात बॉलीवुड की सुपरस्टार बन गईं।
अब चलाती हैं डांस अकेडमी – Now runs a dance academy
आशा पारेख ने 1999 तक फिल्मों में काम किया और फिर एक्टिंग को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। आशा पारेख चूंकि एक क्लासिकल डांसर भी हैं। इसलिए बाद में उन्होंने अपनी एक डांस अकेडमी खोली। अब आशा पारेख उसी में मशगूल रहती हैं। हालांकि वह इंस्टाग्राम पर काफी एक्टिव हैं।
कई भाषाओं में की हैं फिल्में – Have done films in many languages
आशा ने अपनी मातृभाषा गुजराती में भी फिल्में की। उनकी पहली गुजराती फिल्म ‘अखंड सौभाग्यवती’ बेहद सफल हुई थी। इसके अलावा पंजाबी ‘कंकण दे ओले’ (1971) और कन्नड़ ‘शरावेगदा सरदारा’ (1989) फिल्मों में भी उन्होंने काम किया। फिल्मी करियर जब ढलान पर आया तो आशा ने नासिर हुसैन के कहने पर कई टीवी सीरियलों का निर्माण किया, जिनमें ‘पलाश के फूल’, ‘बाजे पायल’, ‘कोरा कागज’, व कॉमेडी सीरियल ‘दाल में काला’ उल्लेखनीय हैं।
पुरस्कार – Award
1992 – पद्म श्री कला में सम्मानित।
1963 – अखंड सौभाग्यवती के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का गुजरात राज्य पुरस्कार।
1969 – फिल्मफेयर पुरस्कार चिराग के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का नामांकन’
1971 – फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार कटी पतंग के लिए।
1976 – फिल्मफेयर पुरस्कार ‘उधार का सिंदूर’ के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के रूप में नामांकन
1978 – फिल्मफेयर पुरस्कार ‘मैं तुलसी तेरे आंगन की’ के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के रूप में नामांकन।
2022 – दादा साहब फालके पुरस्कार से सम्मानित।
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