अदम्य साहसी और दृढनिश्चयी अवनीन्द्र सिंह (Avanindra Singh) उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव कैरावली, सोथरा, तहसील सिरसागंज, जिला फिरोजाबाद उत्तर प्रदेश के एक किसान परिवार से आते हैं। वे अपनी तमाम घरेलू समस्याओं का सामना करते हुए समाज को अपने जीवन का उदाहरण देते हैं जिसमें दुःख, तकलीफ और परेशानियों के बावजूद कैसे इंसान बिना हार माने खुद के और अपने परिवार के सपने साकार कर सकता है।
अवनीन्द्र सिंह जीवन परिचय – Avanindra Singh Biography
जन्म | 2 अक्टूबर 1957 |
माता-पिता | माता – श्रीमती चरन देवी | पिता- स्व. श्री भारत सिंह जादौन |
दादा | स्व. ठाकुर रामपाल सिंह जादौन |
धर्मपत्नी | श्रीमती निशा सिंह जादौन | विवाह- 17 जून 1981 |
संतान | क्षितिज सिंह जादौन, रिपुल सिंह जादौन |
सम्मान | एमएसएमई Govt Of India द्वारा राष्ट्रीय अवार्ड |
शिक्षा | डिप्लोमा इन इंजीनियर |
पेशा | उद्योगपति | संस्थापक- T C Communication Pvt Ltd |
प्रारंभिक शिक्षा – Primary Education
अवनीन्द्र सिंह जादौन की प्रारंभिक शिक्षा गाँव के प्राइमरी पाठशाला में कक्षा पाँच तक हुई। हाई स्कूल की शिक्षा गाँव से पाँच किलोमीटर दूर पैगू के आर्य जनता इंटर कॉलेज से सन् 1973 में की। इसके बाद क्षेत्रीय इंटर कॉलेज से ग्यारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद श्री पी जैन. इण्टर कॉलेज फिरोजाबाद से इण्टरमीडियट की परीक्षा उतीर्ण की। उच्च शिक्षा के लिए इनकी बढ़ती महत्वाकांक्षा को देखते हुए इनके पिता ने इनका एडमीशन लखनऊ में इंजीनियर के डिप्लोमा के लिए हीवेट पॉलिटेक्निक महानगर में करवाया ।
इंजीनियर का डिप्लोमा पूर्ण कर यह पहली बार दिल्ली आये। लेकिन अपनी डिग्री के मुताबिक कोई नौकरी हासिल न कर सके जिसका इन्हें दुःख हुआ, लेकिन आज इनके मुताबिक जब प्राईवेट सैक्टर में हाथ आजमाये तो जो महत्वाकांक्षा सफलता के लिए पनप रही थी। वही आज इनके जीवन की सबसे बड़ी सफलता का कारण बनी। क्योंकि प्राईवेट सेक्टर में रोजगार की तलास में दिल्ली आये और सर्वप्रथम इन्होंने प्राइवेट कंपनी, केवल निर्माण में 400 रूपये प्रतिमाह इलैक्ट्रीकल सुपरवाईजर के रूप में कार्य किया। तीक्ष्ण बुद्धी और महत्वाकांक्षी होने के कारण काम के प्रति बढ़ती रुचि के चलते समय के साथ सफलता मिलती गई।
विवाह एवं जीवनसाथी – Marriage and Life Partner
17 जून 1981 में निशा सिंह जादौन धर्मपत्नी (सुपुत्री ठाकुर रतनपाल सिंह कौरारा वासी) के रूप में इनकी जिन्दगी में आयीं। जो बहुत ही सुन्दर, सुशील और धार्मिक प्रवृत्ति की हैं। कहते हैं कि हर आदमी की सफलता में एक औरत का बड़ा किरदार होता है। जो जीवन के हर मोड़ पर पत्नी-धर्म निभाती हुई गृहणी अपने पति को सफलता के मुकाम तक पहुँचा देती है।
विवाह उपरान्त परिवार की जिम्मेदारी और खर्च बढ़ ही जाते हैं। इसलिए पर्याप्त वेतन के लिए उन्हें अपने पड़ोसी मुल्क नेपाल में जाकर एक कंपनी में नौकरी करनी पड़ी। यह नौकरी भी इनकी बढ़ती महत्वाकांक्षाओं की भेट चढ़ गई। काम के प्रति बढ़ते लगाव और जीवन की सफलताओं के नये आयाम छूने की चेष्टा ने इन्हें अपना व्यवसाय करने के लिए प्रेरित कर दिया।
अवनीन्द्र सिंह के दो पुत्रों क्षितिज सिंह जादौन (IIM Lucknow) एवं रिपुल सिंह जादौन (IIT Kanpur) की सम्मानित शिक्षा ने उन्हें एक सफल पिता होने का गर्भ प्रदान किया।
व्यापार – Business
काम के प्रति ईमानदारी का दायरा सार्थक रूप में सपनों की जमीन पर उतारना पड़ता है। मिथक गरीबी जो मुफ्त में मिली है उसे तोड़ने के लिए खुद को खपाना पड़ता है, खुद को मिटाना पड़ता है। “अमीरी हर किसी को गिफ्ट में नहीं मिलती। मेहनत से द्वार खोलकर मकसद को अमीर बनाया जाता है।” इनका विचार है कि कुछ लोग अपनी मानसिक कमजोरी को भाग्य और नसीब की अनहोनी पर ढकेल देते हैं।
26 जनवरी 1993 में एक इलैक्ट्रिक वायर केबल कम्पनी शुरू की। इसके मुख्य सहयोगी इनके मित्र श्री योगेन्द्र प्रकाश गुप्ता जी, जो एक बड़े व्यापारी है। उनकी स्वयं की एक केबल फैक्ट्री भी है, जो विवाड़ी राजस्थान में मैर्स. बाईबीएस केबल प्राईवेट लि. के नाम से है। प्रारम्भ में अपना बिजनेस करने के लिए धन पर्याप्त नहीं था। इसलिए इस कंपनी का जॉब वर्क किया। इस कार्य से संघर्ष की असली कीमत तो समझ में ही आ गई। लेकिन बड़ी बात यह रही कि माल को बेहतर क्वालिटी के साथ समय पर तैयार करने का अनुभव और आत्मविश्वास भी बढ़ा।
वर्ष 2000 में अपने पुराने मित्र के साथ साझेदारी (पार्टनर) के रूप में श्री अशोक वथवाल और प्रदीप वथवाल के साथ टी.सी. कमुनीकेशन प्राईवेट लिमिटेड एवं ब्रांड टेक्नोकेव कंपनी के रूप में अपने व्यापार को खड़ा किया। जिसका क्षेत्रफल 3500 स्कायर मीटर में है और इसका सालाना टर्नओवर करोडों में है। वर्तमान में इसमें कार्य करने वाले कर्मचारियों की संख्या 125 है। इन्हें क्वालिटी प्रोडक्ट के लिए सन् 2008 में एमएसएमई Govt Of India द्वारा राष्ट्रीय अवार्ड के लिए मनोनीत किया था।
सार्वजनिक जीवन – Social Life
वृद्ध महिला, असहाय, विधवाओं आदि को सहायता प्रदान करना; नयी पीढ़ी की जागृति एवं उत्थान करना; छात्र-छात्रओं की बेहतर शिक्षा हेतु एवं बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध करना तथा छात्र-छात्रओं को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहन देने हेतु छात्र-छात्राओं को प्रशस्ति पत्र देना आपके प्रमुख समाज कल्याण कार्य हैं।
क्षत्रिय समाज-
वंश छिपाए, जाति छिपाए और कर्म छिपाए जदुवंश का ।
होगा नहीं सहन, जो घात करें और नाम मिटाए जदुवंश का ॥
वर्तमान में आप अखिल भारतीय राजपूत विकास समिति (रजि.) महाराणा प्रताप भवन बी-४, केशवपुरम, दिल्ली के संरक्षक हैं। आप जदुद्वारा सेवा संस्थान के प्रधान संरक्षक एवं राष्ट्रीय संयोजक भी हैं। राजपूत स्वाभिमान ट्रस्ट (रजि.) दिल्ली के ट्रस्टी हैं। आप राजनीतिक लोकमंच पाक्षिक समाचार जो कि दिल्ली से प्रकाशित है उसके संरक्षक हैं।
आपने पाने जीवनकाल में तय किया है कि जीवन के अंतिम पडाव को क्षत्रिय समाज की उन्नति एवं विकास के लिए ही खपाना है और जीवन के इस महान उद्देश्य को पूरा करने के लिए आप ने 2015 में सामाजिक धार्मिक संस्था बनाई है। जिसका नाम जदुद्वारा स्वदेशी उत्पाद ग्रुप है। इस सामाजिक एवं आर्थिक संस्था के माध्यम से आप क्षत्रिय समाज के युवा बर्ग को एक बड़े स्तर पर व्यापार में लाना चाहते हैं।
राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ-
आपके जीवन पर आपके स्वर्गीय पिताजी के विचारों का गहरा प्रभाव पड़ा है। यही कारण है कि आप भी अपने पिताश्री की तरह संघ के स्वंयसेवक बनकर राष्ट्र की सेवा में समर्पित हो। सन् 1995 से आप सीधे तौर पर वादली नगर, जिला रोहिणी, शाखा विवेकानन्द से शाखाओं में जाते रहे हैं।