इस्लामिक कैलेंडर का दूसरा नाम ‘हिजरी साल’ भी है। ईस्वी कैलेंडर में रात 12 बजे से नए दिन की शुरुआत मानी जाती है जबकि इस्लामिक या हिजरी कैलेंडर में नए दिन की शुरुआत शाम के समय सूरज डूबने के वक्त से मानी जाती है। इस्लामिक कैलेंडर चंद्र कैलेंडर के हिसाब से चलता है। इस्लामिक कैलेंडर में कुल 12 महीने होते हैं। इन 12 महीनों में 29 और 30 दिन के महीने होते हैं जो एक दूसरे के बाद पड़ते है। इस्लामिक कैलेंडर के महीनों के अनुसार एक वर्ष में कुल 354 दिन होते हैं। यही वजह है कि यह सौर संवत के वर्ष से 11 दिन छोटा होता है। इस अंतर को पूरा करने के लिए 30 वर्ष बाद ज़िलहिज्ज महीने में कुछ दिन जोड़ दिए जाते हैं।
कैसे हुई हिजरी सन की शुरुआत ?
हिजरी सन की शुरुआत 622 ईस्वी से दूसरे खलीफा हजरत उमर फारुख रजि.के दौर में हुई थी। इस्लाम धर्म के आखरी प्रवर्तक हजरत मोहम्मद के पवित्र शहर मक्का से मदीना जाने के समय से हिजरी सन को इस्लामी वर्ष का आरंभ माना गया। खलीफा हजरत उमर रजि.नेहजरत अली रजि. और हजरत उस्मान गनी रजि. के सुझाव को मानते हुए मोहर्रम को पहला महीना तय कर दिया था। इसके बाद से ही विश्व भर के मुस्लिम मोहर्रम के महीने से ही इस्लामी नव वर्ष की शुरुआत मानते हैं।
कौन से हैं हिजरी सन के 12 महीने ?
- मुहर्रम
- सफर
- रबीउल-अव्वल
- रबीउल-आखिर
- जुमादिल-अव्वल
- जुमादिल-आखिर
- रज्जब
- शाअबान
- रमज़ान
- शव्वाल
- जिल काअदह
- जिल हिज्जा
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