विदेशों में रह रहे भारतीय मूल के नागरिक आए दिन कुछ ना कुछ कमाल करते हैं। ये कमाल कभी अंतरिक्ष में होते हैं तो कभी धरती पर। विदेशी धरती पर रह रहे भारतीय मूल के नागरिक हर बार इस बात को साबित करने में कामयाब रहें हैं कि हम भारतीय किसी से कम नहीं। इस बार भी कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी (Cambridge University) में 27 वर्षीय पीएचडी के छात्र ने 2,500 साल पुरानी संस्कृत भाषा की पहेली को सुलझाकर इस बात को साबित कर दिया है।
इस पहेली को 5 वी शताब्दी ईसा पूर्व से विद्वान भी सुलझाने में नाकाम रहे हैं। संस्कृत व्याकरण की इस समस्या को कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पीएचडी (PHD) की पढ़ाई करने वाले 27 वर्षीय ऋषि राजपोपत (Rishi Rajpopat) ने हल करके पूरी दुनिया को हैरान कर दिया है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक़ राजपोपत ने महान ज्ञानी पाणिनि द्वारा सिखाए गए एक नियम को डिकोड किया है।
रिपोर्ट्स में बताया गया है कि राजपोपत सेंट जोन्स कॉलेज (Sant Jonas College) (कैम्ब्रिज) में एशियाई और मध्य पूर्वी अध्ययन संकाय में पीएचडी के छात्र हैं। विश्विद्यालय का कहना है कि भारत की एक अरब जनसंख्या में केवल 25,000 लोग ही संस्कृत भाषा (Sanskrit Language) बोलते हैं। उन्होंने ये भी बताया है कि दुनिया की इस प्राचीनतम भाषा को पूरी दुनिया में केवल भारत में ही बोला जाता है। इस बेहद मुश्किल पहेली को सुलझाने वाले छात्र ने बताया की पहले 9 महीने में कुछ समझ नहीं आ रहा था लेकिन फिर अचानक सब कुछ समझ में आ गया।
उन्होंने कहा “मैने एक महीने के लिए किताबें बंद कर दी और बस गर्मियों का आनंद लिया। तैराकी, साइकिलिंग, खाना बनाना, प्रार्थना करना और मेडिटेशन करते हुए समय बिताया। फिर, अनिच्छा से मैं काम पर वापिस चला गया। काम के दौरान, मिनटों के भीतर, जैसे ही मैने पन्ने पलटे, एक पैटर्न उभरने लगा और यह सब समझ में आने लगा।” उन्होंने कहा है की वह “आधी-आधी रात लाइब्रेरी में बिताने लगे।” लेकिन फिर भी इस समस्या पर ढाई साल तक काम करना पड़ा।”
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