नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’ 31 मई से भारत की 4 दिवसीय यात्रा पर हैं। इस दौरान नेपाल के प्रधानमंत्री ने अपने भारतीय समकक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से द्विपक्षीए वार्तालाप किया। इस दौरान दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
अपने मीडिया संबोधन में, नेपाली प्रधान मंत्री पुष्प कमल दहल, ‘प्रचंड’ ने पीएम मोदी से द्विपक्षीय वार्ता के साथ सीमा मुद्दों को हल करने का आग्रह किया और पीएम मोदी को नेपाल आने का निमंत्रण दिया।
भारत और नेपाल ने भारत-नेपाल पारगमन संधि, 1992 को नवीनीकृत करते हुए दोनों देशों ने रेलवे सुविधाओं के उद्घाटन, पेट्रोलियम पाइपलाइन के विस्तार और डिजिटल भुगतान सहित सात दस्तावेजों का आदान-प्रदान किया।
पीएम मोदी ने कहा कि संशोधित समझौते के तहत नेपाल नए रेल मार्गों के साथ-साथ अंतर्देशीय जलमार्गों का भी उपयोग कर सकता है।
प्रचंड और मोदी ने वर्चुअल रूप से भारत में रुपैडीहा और नेपाल में नेपालगंज में चेकपोस्ट को हरी झंडी दिखाई।
दोनों नेताओं ने मोतिहारी-अमलेखगंज के चितवन तक विस्तार के साथ-साथ पूर्वी नेपाल में सिलीगुड़ी और झापा के बीच भंडारण टर्मिनलों के साथ-साथ एक नई पाइपलाइन के निर्माण की भी घोषणा की।
भारत और नेपाल सम्बन्ध
नेपाल, भारत का एक ऐसा पड़ोसी देश है जिसके भारत के साथ सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध अच्छे रहे हैं । दोनों देशों के बीच आवागमन न सिर्फ आजीविका के लिए होता है अपितु भारत के साथ नेपाल के “रोट- बेटी का सम्बन्ध” है ।
दोनों देशों के बीच 1850 किलोमीटर से अधिक लंबी सीमा भारत के 5 से लगती है।
वर्ष 2018-19 में कुल द्विपक्षीय व्यापार 57,858 करोड़ रुपए (8.27 अरब अमेरिकी डॉलर) तक पहुँच गया। वर्ष 2018-19 में, जबकि भारत में नेपाल का निर्यात 3558 करोड़ रुपए (US$508 मिलियन) था, नेपाल को भारत का निर्यात 54,300 करोड़ रुपए (7.76 बिलियन अमेरिकी डॉलर) था।
1950 की “भारत-नेपाल शांति और मित्रता संधि”
1950 की “भारत-नेपाल शांति और मित्रता संधि” दोनों देशों के बीच के मजबूत संबंधों को आधार प्रदान करती है ।इस संधि के द्वारा ही दोनों देशों के बीच वस्तुओं एवं लोगों की बिना रोक-टोक आवाजाही सुनिश्चित हो पाती है ।
यह संधि दोनों देशों में निवास, संपत्ति, व्यापार और आवाजाही में भारतीय और नेपाली नागरिकों के पारस्परिक व्यवहार के बारे में बताती है।
यह भारतीय और नेपाली दोनों व्यवसायों के लिये राष्ट्रीय व्यवहार भी स्थापित करता है (अर्थात, एक बार आयात किये जाने के बाद, विदेशी वस्तुओं को घरेलू सामानों से अलग नहीं माना जाएगा)।
यह संधि भारत द्वारा नेपाल को हथियारों तक पहुँच भी सुनिश्चित करता है।
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