एक और आयकर माफी योजना हो सकती है बजट में शामिल, ऐसे होगा फायदा – Budget 2023

इतनी इनकम पर देना होगा 20% का भारी भरकम टैक्स
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टैक्स विवाद को सुलझाने में सरकार की योजनाएं सफल रहीं हैं। ‘विवाद से विश्वास’ और ‘सबका विश्वास’ जैसी आयकर माफी योजनाओं के प्रथम चरण की कामयाबी के बाद अब सरकार 2023 के बजट में इन योजनाओं के दूसरे चरण को लागू कर सकती है। आसान भाषा में अब आम आदमी को पुराने कर विवाद निपटाने के लिए सरकार की तरफ से एक नया मौका दिया जा सकता है। 

10 से 20 फीसदी तक लगाया जा सकता है जुर्माना
इस योजना में संबंधित कर विवाद में 10 से 20 फीसदी तक जुर्माना लगाया जा सकता है। जबकि विवाद में भारी भरकम जुर्माना लगाया जाता है। इस तरह की कर माफी वाली योजना को एमेनेस्टी स्कीम कहा जाता है। इस पर सरकार का कहना है कि इससे आयकर विभाग पर लंबित मामलों का बोझ कम होगा। इसके अलावा इससे 38 हज़ार करोड़ का राजस्व मिल सकता है। इससे पहले सरकार ने जब ऐसी योजनाओं को लागू किया था तब उसे 92 हज़ार करोड़ रुपए के राजस्व की प्राप्ति हुई थी। 

ये होगा फायदा 
इससे लंबित कर मामलों का जल्दी निपटान किया जाएगा। ऐसे में आयकर विभाग करदाताओं पर लगे कर को माफ कर देता है। साथ ही इससे आयकर विभाग पर कर मामलों का बोझ भी घटता है। योजना के प्रोत्साहन से कर राजस्व में इज़ाफा होता है। इससे इज़ ऑफ डूइंग बिजनेस (Ease Of Doing Business) को भी बढ़ावा मिलता है। 

कम लगता है जुर्माना 
विवाद से विश्वास और सबका विश्वास जैसी कर माफी योजनाएं कर दाताओं के लिए काफी फायदेमंद साबित होती है। इन योजनाओं के तहत 10 से 20 फीसदी जुर्माना वसूल किया जाता है। जबकि कर विभाग कर से जुड़े मामलों में 100 फीसदी से भी ज़्यादा कर वसूलता है। कई बार संबंधित पक्ष के लिए इतना जुर्माना चुका पाना संभव नहीं होता जिसकी वजह से उनके द्वारा मामले को कोर्ट में चुनौती दी जाती है। इसकी वजह से कर का नुकसान होने के साथ ही आयकर विभाग पर कर मामलों का बोझ बढ़ता है।

सीमा शुल्क मामलों पर है नज़र
आयकर विभाग के साथ ही सरकार की नजरें सीमा शुल्क विवादों से जुड़े मामलों के निपटान के लिए कर माफी योजनाओं को तैयार करने पर भी टिकी हुई हैं। इस पर सूत्रों का कहना है कि पुराने कर माफी योजनाओं की सफलता के अलावा कोरोना महामारी, रूस यूक्रेन संकट और वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी के संकेत के बावजूद पिछले साल निर्यात में तेज उछाल आया है। कई मामलों में निर्यातित उत्पाद के लिए कच्चे माल का आयात भी करना पड़ता है। ऐसे में उद्योग जगत का भरोसा बढ़ाने के लिए सरकार कस्टम ड्यूटी के लंबित मामलों के लिए भी कर माफी योजना की संभावना तलाश रही है।

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