समाज में डॉक्टरों की महत्वपूर्ण भूमिका है। वे अपना जीवन मरीजों की भलाई, बीमारी या स्थिति से तेजी से ठीक होने में सहायता करने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए समर्पित करते हैं। उन्हें चिकित्सा विज्ञान की बहुत अच्छी समझ होती है और वे अपना ज्ञान मरीजों की चिकित्सा संबंधी बीमारियों का इलाज करने और उनके जीवन को बढ़ाने के लिए समर्पित करते हैं।
COVID-19 महामारी के दौरान हमारे चिकित्सा पेशेवरों (डॉक्टरों और नर्सों) के योगदान को कोई नहीं भूल सकता। अधिकतर देश चिकित्सकों के इस योगदान को सम्मान देने के लिए चिकित्सक दिवस के रूप में मानते हैं। भारत में यह 1 जुलाई के दिन होता है।
भारत में, राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस (National Doctors Day) चिकित्सकों के महत्वपूर्ण कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को पहचानने और सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। इस जागरूकता अभियान के वार्षिक उत्सव से आम जनता को डॉक्टरों की भूमिका, महत्व और अमूल्य देखभाल के बारे में जागरूक होने में मदद मिलती है। युवाओं को चिकित्सा में करियर चुनने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए स्कूल और कॉलेज स्तर पर गतिविधियाँ भी आयोजित की जाती हैं।
भारत में, राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस समाज में डॉक्टरों के योगदान के मूल्य को स्वीकार करने और उजागर करने के लिए मनाया जाता है। इससे आम जनता को मरीजों के इलाज में डॉक्टरों की भूमिका और दायित्वों के महत्व को समझने में भी मदद मिलती है।
पहली बार साल 1991 इस दिन को मनाया गया था और तबसे हर साल 1 जुलाई को डॉक्टर्स डे के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ० बिधान चंद्र रॉय के सम्मान में मनाया गया था। डॉ बीसी रॉय प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में से एक होने के साथ-साथ एक सम्मानित डॉक्टर भी थे, जिन्हें 4 फरवरी, 1961 को भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था।