कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार ‘अब्दुल हमीद’ : जन्मदिन विशेष

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कंपनी क्वार्टरमास्टर हवलदार अब्दुल हामिद एक भारतीय सैनिक थे, जिन्हें 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उनके सर्वोच्च बलिदान के लिए मरणोपरांत भारत का सर्वोच्च सैन्य सम्मान, परमवीर चक्र दिया गया था।

इस कारण से मिला था परमवीर चक्र : आधिकारिक उद्धरण (Official Citation)

“10 सितंबर, 1965 को सुबह 8 बजे, पाकिस्तानी सेना ने पैटन टैंकों की एक रेजिमेंट के साथ खेम करण सेक्टर में भिखीविंड रोड पर चीमा गांव से आगे एक महत्वपूर्ण क्षेत्र पर हमला किया। हमले से पहले तीव्र तोपखाने से गोलाबारी की गई। दुश्मन के टैंक सुबह 9 बजे आगे की स्थिति में घुस गए।

गंभीर स्थिति को महसूस करते हुए, कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हामिद, जो एक रिकॉइललेस बंदूक टुकड़ी के कमांडर थे, दुश्मन की भारी गोलाबारी और टैंक की आग के बीच अपनी बंदूक को जीप पर रखकर, एक फ़्लैंकिंग स्थिति में चले गए। एक लाभप्रद स्थिति लेते हुए, उन्होंने अग्रणी दुश्मन टैंक को मार गिराया, और फिर तेजी से अपनी स्थिति बदलते हुए उन्होंने दूसरे टैंक को भी आग की लपटों में उड़ा दिया।

इस समय तक क्षेत्र में दुश्मन के टैंकों ने उन्हें देख लिया और उनकी जीप को केंद्रित मशीन गन और उच्च विस्फोटक आग के अधीन कर दिया। बिना किसी डर के, कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हामिद अपनी रिकॉइललेस गन से दुश्मन के एक और टैंक पर फायरिंग करते रहे। ऐसा करते समय वह दुश्मन के एक उच्च विस्फोटक गोले से गंभीर रूप से घायल हो गये।
हवलदार अब्दुल हमीद की बहादुरी भरी कार्रवाई ने उनके साथियों को वीरतापूर्वक लड़ने और दुश्मन के भारी टैंक हमले का जवाब देने के लिए प्रेरित किया।

ऑपरेशन के दौरान अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा की पूरी तरह से उपेक्षा करना और लगातार दुश्मन की गोलीबारी के सामने बहादुरी का उनका कार्य न केवल उनकी यूनिट के लिए बल्कि पूरे डिवीजन के लिए एक गौरवपूर्ण उदाहरण था और भारतीय सेना की उच्चतम परंपराओं में था।”

उक्त कहानी है वीर अब्दुल हमीद की। आज 1 जुलाई को उनकी जयंती पर जानतें हैं उनके विषय में कुछ बातें।

जन्म व परिवार 

अब्दुल हमीद का जन्म 1 जुलाई, 1933 को हुआ था। वे उत्तर-प्रदेश राज्य के ग़ाज़ीपुर जिले के एक धामूपुर गाँव में जन्मे थे। उनकी माता का नाम था सकीना बेगम। उनके पिता मोहम्मद उस्मान थे जो एक दर्जी थे। अब्दुल हामिद कपड़े सिलकर अपने पिता के व्यवसाय में मदद करते थे।

हामिद के तीन भाई और दो बहनें थीं। बहुत ही साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले, उन्होंने जूनियर हाई स्कूल, देवा से आठवीं कक्षा उत्तीर्ण की, लेकिन आगे की पढ़ाई जारी नहीं रख सके और अपने पिता के साथ उनकी सिलाई की दुकान पर काम करने लगे। कम उम्र में उनकी शादी रसूलन बीबी से हो गई और उनकी एक बेटी और चार बेटे हुए।

सैन्य यात्रा 

वह 27 दिसंबर 1954 को भारतीय सेना में शामिल हुए। उन्हें ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट की चौथी बटालियन (पूर्व में 109वीं इन्फैंट्री) में कमीशनिंग (तैनाती) मिली। वे आगरा, अमृतसर, जम्मू और कश्मीर, दिल्ली, नेफा (पूर्वोत्तर भारत) और रामगढ़ में अपनी बटालियन के साथ रहे।

1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान, हामिद की बटालियन ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के खिलाफ ‘नामका चू’ की लड़ाई में भाग लिया था। इसी बटालियनके सेकंड लेफ्टिनेंट जी. वी. पी. राव को इस युद्ध के दौरान उनकी वीरता व सर्वोच्च बलिदान के लिए मरणोपरांत महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था।

1965 में पाकिस्तान ने ऑपरेशन ज़िब्रालटर के तहत भारत पर हमला कर दिया। इसके प्रतिउत्तर में भारत ने भी कार्यवाई की। इस जवाबी कार्यवाई में अब्दुल हमीद की पलटन ने भी हिस्सा लिया। ‘असल उत्तर/आसल उत्ताड़’ के युद्ध में अब्दुल हमीद ने अपने अदम्य साहस और असाधारण वीरता का परिचय देते हुए 10 सितम्बर, 1965 को अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। इसके लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। 

भारतीय सेना ने जारी किया वीडियो

ऑपरेशन ज़िब्रालटर

ऑपरेशन जिब्राल्टर जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी सेना द्वारा शुरू किए गए एक सैन्य अभियान का कोड नाम था। इसका उद्देश्य पाकिस्तानी कमांडो को नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ करना और स्थानीय आबादी को भारत सरकार के खिलाफ विद्रोह करने के लिए उकसाना था।

पाकिस्तानी सैन्य-नेतृत्व ने विशेष रूप से जिब्राल्टर के बंदरगाह से शुरू की गई पुर्तगाल और स्पेन की मुस्लिम विजय की तुलना करने के लिए इस नाम को चुना।

क्या था ‘असल उत्तर’ का युद्ध?

असल उत्तर की लड़ाई एक बड़ी टैंक लड़ाई थी जो 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान 8 से 10 सितंबर को हुई थी। तीन दिनों की कड़ी लड़ाई के बाद भारतीय सेना ने बड़ी पाकिस्तानी सेना को खदेड़ दिया। असल उत्तर की लड़ाई ने 1965 के युद्ध का रुख भारत के पक्ष में बदल दिया।

परमवीर चक्र : 21 परमवीर जो इतिहास के पन्नों में हो गए अमर

Name Rank Date
Somnath Sharma Major 3 Nov 1947
Jadunath Singh Naik 6 Feb 1948
Rama Raghoba Rane Second Lieutenant 8 Apr 1948
Piru Singh Company Havildar Major 17 Jul 1948
Karam Singh Lance Naik 13 Oct 1948
Gurbachan Singh Salaria Captain 5 Dec 1961
Dhan Singh Thapa Major 20 Oct 1962
Joginder Singh Subedar 23 Oct 1962
Shaitan Singh Major 18 Nov 1962
Abdul Hamid Company Quarter Master Havildar 10 Sep 1965
Ardeshir Tarapore Lieutenant Colonel 11 Sep 1965
Albert Ekka Lance Naik 3 Dec 1971
Nirmal Jit Singh Sekhon Flying Officer 14 Dec 1971
Arun Khetarpal Second Lieutenant 16 Dec 1971
Hoshiar Singh Dahiya Major 17 Dec 1971
Bana Singh Naib Subedar 23 May 1987
Ramaswamy Parameshwaran Major 25 Nov 1987
Manoj Kumar Pandey Lieutenant 3 Jul 1999
Yogendra Singh Yadav Grenadier 4 Jul 1999
Sanjay Kumar Rifleman 5 Jul 1999
Vikram Batra Captain 7 Jul 1999

कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से 21 अमर बलिदानियों को श्रद्धांजलि !

और अधिक जाने :

https://www.gallantryawards.gov.in/awardee/1058

https://hi.wikipedia.org/

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