“कुछ लक्ष्य इतने सार्थक होते हैं कि उनमे असफल होना भी गौरव की बात है” ये पंक्तियाँ मनोज पांडेय ने अपनी डायरी में लिखी थीं।
प्रारंभिक जीवन
बचपन से ही देशसेवा की भावना रखने वाले मनोज पांडेय का जन्म उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के रुधा गाँव में हुआ था। बचपन से ही सेना में जाने का लक्ष्य हमेशा मन में बना रहा। मनोज पांडेय ने प्रारंभिक शिक्षा उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल, लखनऊ तथा रानी लक्ष्मी बाई सीनियर सेकेंडरी मेमोरियल स्कूल से पूरी की। शुरु से ही खेलों के प्रति उनका लगाव रहा। मुक्केबाजी और बॉडी बिल्डिंग में उन्हें विशेष रूचि थी। उन्हें 1990 में उत्तर प्रदेश निदेशालय के जूनियर डिवीजन एन सी सी का सर्वश्रेष्ठ कैडेट चुना गया।
नाम | मनोज कुमार पांडेय |
जन्म तिथि | 25 जून 1975 |
जन्म स्थान | गाँव रुधा जिला सीतापुर (उ० प्र०) |
पिता | श्री गोपी चंद पांडेय |
माता | श्रीमती मोहिनी |
सेवा | भारतीय सेना |
पद | कैप्टन |
बटालियन | 1/11वीं गोरखा राइफल्स |
मृत्यु | 03 जुलाई 1999 कारगिल युद्ध (लद्दाख) |
पुरस्कार | परमवीर चक्र (मरणोपरांत) |
सैन्य जीवन
लगातार सैन्य परीक्षाओं में असफल होने के बाद भी मनोज पांडेय ने प्रयास करना नहीं छोड़ा। इसी के परिणामस्वरुप उनका चयन भारतीय सेना में हो गया। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी खडगवासला (पुणे) से अपना स्नातक पूरा किया और 7 जून 1997 को गोरखा राइफल्स में तैनात हुए।
जुबार टॉप्स पर कब्जा
जुलाई की शुरुआत में, 1/11 जीआर की ‘बी’ कंपनी को खालूबार टॉप पर कब्ज़ा करने का काम सौंपा गया था। पांडेय इस कंपनी में एक प्लाटून की कमान संभाल रहे थे । स्थिति को जल्दी से भांपते हुए, उन्होंने दो दुश्मन कर्मियों को मार गिराया और अन्य दो दुश्मन को मारकर दूसरे स्थान को नष्ट कर दिया।
कंधे और पैर में चोट लगने के बावजूद, उन्होंने गंभीर दृढ़ संकल्प के साथ अकेले ही हमला जारी रखा, जब तक कि वे पहले बंकर के करीब नहीं पहुँच गए। दोनों सेनाओं के बीच भयंकर, हाथापाई हुई। सैनिकों ने दुश्मन पर बुरी तरह हमला किया और उन्हें संभलने का मौका भी नहीं दिया। निडर और अपनी गंभीर चोटों की परवाह किए बिना, उन्होंने अपने जवानों को उकसाते हुए चौथे स्थान पर हमले का नेतृत्व करना जारी रखा और ग्रेनेड से उसे नष्ट कर दिया उसी दौरान उनके माथे पर एक घातक धमाका हुआ। वे अंतिम बंकर पर गिर पड़े और अपनी चोटों के कारण दम तोड़ दिया। इस कारण से 3 जुलाई को प्रतिवर्ष देशभर में इनकी पुण्यतिथि बड़े सम्मान के साथ मनाई जाती है
सम्मान
पांडेय उन 21 व्यक्तियों में से एक हैं जिन्हें भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान से सम्मानित किया गया है। पीवीसी पुरस्कार विजेता के रूप में, उनकी प्रतिमा राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के परम योद्धा स्थल पर है।
26 जनवरी 2000 को मरणोपरांत इन्हें सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। इनके साथ 1999 में कारगिल युद्ध में ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव और उनके साथी राइफलमैन संजय कुमार के साथ ही शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा को भी परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया है।
कैप्टन मनोज कुमार पांडेय की मृत्यु के बाद कई स्थानों का नाम उनके नाम पर रखा गया है, इन सभी जगहों के बारे में नीचे विस्तार से दिया गया है।
रानी लक्ष्मी बाई मेमोरियल सीनियर सेकेंडरी स्कूल
- उनके नाम पर एक सभागार का निर्माण किया गया है , जिसका उद्घाटन उनके माता-पिता ने किया।
यूपी सैनिक स्कूल, लखनऊ
- पांडेय के विद्यालय, उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल, लखनऊ का नाम बदलकर उसके सबसे उत्कृष्ट पूर्व छात्र के नाम पर रखा गया। अब इसे कैप्टन मनोज कुमार पांडे यूपी सैनिक स्कूल, लखनऊ कहा जाता है ।
- स्कूल में एक ऑडिटोरियम का नाम उनके नाम पर रखा गया। इसकी आधारशिला 2011 में जनरल वी० के० सिंह ने रखी थी
- स्कूल सालाना एक अंतर-स्कूल फुटबॉल टूर्नामेंट आयोजित करता है – ‘स्वर्गीय कैप्टन मनोज कुमार पांडे पीवीसी फुटबॉल टूर्नामेंट ट्रॉफी’।
- मुख्य द्वार का नाम उनके नाम पर रखा गया।
राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (N.D.A), पुणे
- राष्ट्रीय राष्ट्रीय रक्षा अकादमी ने विज्ञान ब्लॉक का नाम “मनोज पांडे ब्लॉक” रखा।
- उनका चित्र अकादमी के माइक स्क्वाड्रन में लगा हुआ है।
सेवा चयन बोर्ड (S.S.B), इलाहाबाद
- कैप्टन मनोज के नाम पर सेवा चयन बोर्ड इलाहाबाद में मनोज पाण्डेय ब्लॉक नाम से एक हॉल बनाया गया है।
कैप्टन मनोज पांडे मेमोरियल स्पोर्ट्स स्टेडियम, गरकोन
- कैप्टन मनोज पांडे स्टेडियम भारत के कारगिल जिले के आर्यन वैली बटालिक सेक्टर के
गरकोन गांव में स्थित एक खेल का मैदान है। यह स्टेडियम भारतीय सेना के अधिकारी कप्तान मनोज कुमार पांडेय को समर्पित है, जिन्हें 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान उनकी बहादुरी के लिए मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
उत्तर प्रदेश के रहने वाले कैप्टन मनोज कुमार पांडेय ने युद्ध के दौरान बटालिक सेक्टर में खालूबार पहाड़ियों पर कब्ज़ा करने में अपने सैनिकों का नेतृत्व किया था। उन्होंने बहादुरी से दुश्मन सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अपने देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। यह स्टेडियम उनकी वीरता और राष्ट्र के प्रति समर्पण को श्रद्धांजलि देने के लिए बनाया गया है।
भारत में उनके नाम पर हैं कई सड़कें और इमारतें
- सेना कल्याण आवास संगठन (एडब्ल्यूएचओ) ने उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में दिग्गजों के लिए एक अपार्टमेंट परिसर का डिजाइन और निर्माण किया और इसका नाम मनोज कुमार पांडेय के के नाम पर “मनोज विहार” रखा।
- पुणे में कार्डियो थोरेसिक सेंटर (सीटीसी) अस्पताल के पास सेना के क्वार्टर का नाम शहीद कैप्टन मनोज पांडे के नाम पर “कैप्टन मनोज पांडे एन्क्लेव” रखा गया है।
- शहीद कैप्टन मनोज पांडेय के नाम पर उनके गृह जनपद सीतापुर, उत्तर प्रदेश और गोमती नगर, लखनऊ के केंद्र में एक गोल चक्कर का नाम भी “कैप्टन मनोज पांडे चौक” रखा गया है।
- द्रास में कारगिल युद्ध संग्रहालय में एक गैलरी का नाम उनके नाम पर रखा गया है।
- जनरल एमएम नरवणे ने 19 मार्च 2021 को कैप्टन मनोज पांडे के पैतृक गांव रूरा में एक स्मारक समर्पित किया
- अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी (O.T.A) के कैडेट्स मेस का नाम बदलकर कैप्टन मनोज पांडे मेस कर दिया गया है।
फ़िल्में एलओसी: कारगिल (2003) में अजय देवगन के द्वारा उनका किरदार निभाया गया है।
परमवीर चक्र : 21 परमवीर जो इतिहास के पन्नों में हो गए अमर
कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से 21 अमर बलिदानियों को श्रद्धांजलि !