दीन दयाल उपाध्याय एक भारतीय दार्शनिक, राजनीतिज्ञ और सामाजिक विचारक थे जिन्होंने भारत में राजनीतिक और वैचारिक विचार के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह भारतीय जनसंघ के एक प्रमुख नेता थे। भारतीय जनसंघ एक दक्षिणपंथी राजनीतिक दल था जो बाद में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के रूप में विकसित हुआ।
जन्म व शिक्षा
- दीन दयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर, 1916 को भारत के उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में हुआ था।
- उनका बचपन बहुत कठिन था क्योंकि उन्होंने बहुत ही कम उम्र में अपने माता-पिता दोनों को खो दिया था।
- उनका पालन-पोषण और शिक्षा उनके नाना के घर पर हुई।
- उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा गंगापुर, कोटा, राजगढ़, सीकर और पिलानी जैसे विभिन्न स्थानों पर की।
- राजस्थान के सीकर में अपने हाई स्कूल में उन्होंने बोर्ड परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया।
- पंडित दीनदयाल इंटरमीडिएट की पढ़ाई के लिए पिलानी गए जहां उन्होंने 1937 में बोर्ड परीक्षा में टॉप किया।
- दीन दयाल उपाध्याय ने 1939 में सनातन धर्म कॉलेज, कानपुर से प्रथम श्रेणी में बीए किया और अंग्रेजी साहित्य में मास्टर डिग्री हासिल करने के लिए सेंट जॉन्स कॉलेज, आगरा में दाखिला लिया, जिसे उन्होंने व्यक्तिगत कारणों से पूरा नहीं किया।
राजनीतिक कैरियर
उपाध्याय ने राजनीति में प्रवेश किया और एक हिंदू राष्ट्रवादी संगठन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े थे। वह 1937 में नाना जी देशमुख और भाऊ जुगाड़े के प्रभाव में आकर आरएसएस से जुड़े।
आरएसएस शिक्षा विंग में अपनी शिक्षा और प्रशिक्षण पूरा करने के बाद, वह संघ के आजीवन प्रचारक बन गए।
1951 से 1967 तक भारतीय जनसंघ के महासचिव बने और बाद में 29 दिसंबर, 1967 को जनसंघ के अध्यक्ष बने। उनका कार्यकाल अल्पकालिक था और केवल 43 दिनों के बाद 11 फरवरी, 1968 को 52 वर्ष की आयु में रहस्यमय परिस्थितियों में उन्हें मुगल सराय में एक रेलवे ट्रैक पर मृत पाया गया। पंडित दीनदयाल की मृत्यु अभी भी अनसुलझी है।
दार्शनिक और बौद्धिक योगदान
उपाध्याय एक विपुल लेखक और विचारक थे। उन्होंने भारतीय राजनीती के बौद्धिक विमर्श में योगदान देते हुए राजनीति, अर्थशास्त्र और सामाजिक मुद्दों से संबंधित विषयों पर विस्तार से लिखा।
एकात्म मानववाद (Integral Humanism): राजनीतिक चिंतन में दीन दयाल उपाध्याय का सबसे महत्वपूर्ण योगदान “एकात्म मानववाद” की अवधारणा थी। उन्होंने लेखों और भाषणों की एक श्रृंखला में इस विचारधारा को रेखांकित किया। एकात्म मानववाद व्यक्ति, परिवार और संस्कृति के महत्व पर जोर देते हुए समाजवाद और पूंजीवाद के सर्वोत्तम पहलुओं को मिश्रित करना चाहता है। यह सामाजिक समरसता और आर्थिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए विकेंद्रीकृत आर्थिक और राजनीतिक संरचनाओं का आह्वान करता है।
अंत समय और विरासत
दीन दयाल उपाध्याय का जीवन तब समाप्त हो गया जब 11 फरवरी, 1968 में उत्तर प्रदेश के मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु का सटीक कारण बहस और अटकलों का विषय बना हुआ है।
उपाध्याय की विरासत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वैचारिक विकास में विशेष रूप से उल्लेखनीय है। उनके विचार, विशेष रूप से ‘एकात्म मानववाद’, बीजेपी की विचारधारा और नीति-निर्माण को आकार देने हेतु पथ-प्रदर्शक का कार्य करते हैं।
उनका दर्शन भी अकादमिक अध्ययन और चर्चा का विषय बना हुआ है। दीन दयाल उपाध्याय के विचार और विचार भारतीय राजनीति के क्षेत्र में प्रभावशाली हैं और उन्होंने देश में दक्षिणपंथी राजनीतिक आंदोलन की विचारधारा को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
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