सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया एक प्रख्यात भारतीय इंजीनियर, राजनेता और विद्वान थे। उन्हें इंजीनियरिंग और राष्ट्र-निर्माण में उनके अग्रणी योगदान के लिए व्यापक रूप से पहचाना जाता है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
- मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया का जन्म 15 सितंबर, 1861 को भारत के कर्नाटक राज्य के एक गाँव मुद्देनाहल्ली में हुआ था।
- उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा चिक्काबल्लापुर में की और सेंट्रल कॉलेज, बैंगलोर से कला में स्नातक की डिग्री पूरी की।
- स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद, उन्होंने पुणे के कॉलेज ऑफ साइंस में सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।
इंजीनियरिंग करियर
- विश्वेश्वरैया ने ब्रिटिश भारत के बॉम्बे प्रेसीडेंसी में भारतीय सिंचाई आयोग में अपने इंजीनियरिंग करियर की शुरुआत की।वहां उन्होंने जल प्रबंधन और सिंचाई में बहुमूल्य अनुभव प्राप्त करते हुए विभिन्न परियोजनाओं पर काम किया।
- तत्पश्चात, विश्वेश्वरैया हैदराबाद राज्य के लिए काम किया।
- सेवानिवृत्ति के बाद, उन्होंने अपना प्रशासनिक और राजनेता करियर शुरू किया और मैसूर साम्राज्य में अपना इंजीनियरिंग करियर जारी रखा।
प्रमुख उपलब्धियां
- उनके सबसे उल्लेखनीय योगदान में कई बांधों का डिजाइन और निर्माण शामिल है, जिनमें कर्नाटक के मांड्या में कृष्ण राजा सागर बांध और तमिलनाडु के मेट्टूर में केआरएस बांध शामिल हैं।
- उन्होंने दक्कन पठार क्षेत्र में सिंचाई की एक व्यापक प्रणाली के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे कृषि उत्पादकता में काफी वृद्धि हुई।
पहचान एवं सम्मान
- मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को अपने जीवनकाल में कई पुरस्कार और सम्मान मिले। 1955 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
- 1915 में ब्रिटिश सरकार द्वारा उन्हें नाइट की उपाधि दी गई और वे सर एम. विश्वेश्वरैया बन गए।
- इंजीनियरिंग और राष्ट्र-निर्माण में विश्वेश्वरैया के योगदान ने उन्हें “आधुनिक मैसूर के पिता (Father of Modern Mysore)” की उपाधि दी।
बाद का जीवन
- सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद, वह विभिन्न इंजीनियरिंग और विकासात्मक गतिविधियों में शामिल रहे।
- उन्होंने 1912 से 1918 तक मैसूर रियासत के दीवान (प्रधान मंत्री) के रूप में कार्य किया, जहां उन्होंने कई नवीन सुधार और नीतियां पेश कीं जिन्होंने राज्य को बदल दिया।
- इसके अतिरिक्त, वे टाटा स्टील्स के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स में भी कार्यरत थे।
- उनकी मृत्यु 14 अप्रैल, 1962 को हुई थी।
विरासत
- सर एम. विश्वेश्वरैया की विरासत उनकी इंजीनियरिंग उपलब्धियों से भी आगे तक फैली हुई है। वह एक दूरदर्शी नेता थे जिन्होंने भारत की प्रगति के लिए शिक्षा, औद्योगीकरण और वैज्ञानिक अनुसंधान के महत्व पर जोर दिया।
- उनका जन्मदिन, 15 सितंबर, भारत में “इंजीनियर्स डे (अभियंता दिवस)” के रूप में मनाया जाता है, जो इंजीनियरों और समाज में उनके योगदान को सम्मानित करने का दिन है।
- बेंगलुरु, कर्नाटक में विश्वेश्वरैया औद्योगिक और प्रौद्योगिकी संग्रहालय का नाम उनके सम्मान में रखा गया है, जो उनके जीवन और योगदान को प्रदर्शित करता है।
एम विश्वेश्वरैया का जीवन और कार्य भारत और उसके बाहर के इंजीनियरों और व्यक्तियों को प्रेरित करता है, जो राष्ट्र निर्माण और विकास में इंजीनियरिंग और नवाचार के महत्व पर जोर देता है।
भारत में इंजीनियर डे कब मनाया जाता है?
15 सितंबर
भारत में इंजीनियर डे (अभियंता दिवस) किसके जयंती के उपलक्ष में मनाया जाता है?
एम. विश्वेश्वरैया
सर एम. विश्वेश्वरैया की जयंती किस दिन मनाई जाती है?
15 सितंबर
फादर ऑफ़ मॉडर्न मैसूरु / आधुनिक मैसूरु का पिता किसे कहा जाता है?
एम. विश्वेश्वरैया
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