रात को पर्याप्त नींद लेना बहुत जरूरी होता है। अच्छी नींद आए इसके लिए लोग क्या नहीं करते। कई बार लोग
नींद न आने पर टीवी और स्मार्टफोन देखने लगते हैं। एक हालिया अध्ययन में दावा किया गया है। कि मोबाइल
पर छोटे-छोटे वीडियो देखने से नींद पर बुरा असर पड़ता है।
शोधकर्ताओं का कहना वीडियो या क्लिप किशोरों में देरी से नींद लाने की वजह हो सकते हैं। अध्ययन के निष्कर्ष
गुरुवार को जर्नल ऑफ स्लीप मेडिसिन में प्रकाशित किए गए। ऑस्ट्रेलिया में फ्लिडर्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने
बताया कि अध्ययन में 12 से 18 वर्ष आयु के सात सौ से अधिक बच्चों को शामिल किया गया। अध्ययन के
दौरान जिन बच्चों ने अध्ययन के दौरान मोबाइल पर कम से कम आधा घंटे समय बिताया, उसमें 13 मिनट देरी
से नींद आई। यह पर्याप्त नींद लेने की संभावना को भी कम करता है। वहीं, जिन बच्चों ने टीवी देखा था, वह नौ
मिनट में ही बिस्तर पर चले गए।
इंसान जल्द खोने लगता है नियंत्रण
अध्ययन के निष्कर्ष ऐसे संकेत देते हैं कि मोबाइल पर वीडियो देखने से नींद प्रभावित हो सकती है। शोधकर्ताओं ने
बताया कि छोटे छोटे वीडियो क्लिप, लघु फिल्में किसी इंसान को नियंत्रण खोने की ओर ले जाती हैं। शोधकर्ताओं
का कहना है कि ऐसे वीडियो लंबे समय तक स्क्रीन पर बनाए रखने में सहायक होते हैं। यही वजह है कि रात में
नींद खराब होती रहती है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म अध्ययन में शामिल
शोधकर्ताओं का कहना है कि अध्ययन के दौरान नेटफ्लिक्स, यूट्यूब और पारंपरिक टीवी को शामिल किया गया।
वहीं, टिक टॉक को लेकर पहले के अध्ययनों में ही चेतावनी दी जा चुकी है कि इससे नींद खराब होती है। इसलिए
अध्ययन में टिक-टॉक को शामिल नहीं किया गया। साथ ही इंस्टाग्राम, स्नैपचैट और स्पोटिफाई को भी शामिल
नहीं किया गया।
मोटापे से ग्रसित होने की संभावना अधिक
शोधकर्ताओं का कहना है कि प्रत्येक किशोर को हर दिन आठ से दस घंटे की नींद लेनी चाहिए। एक अनुमान के
मुताबिक, अमेरिकी युवा कम नींद लेते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि पर्याप्त नींद न लेने से मानसिक स्वास्थ्य
समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा ऐसे किशोर जल्द ही मोटापे का शिकार भी हो सकते हैं। अध्ययन में आठ
स्कूल के बच्चे शामिल किए गए थे।