होली रंगों का त्यौहार है, जिसे गुलाल आदि रंगों से खेल कर खूब धूम धाम से मनाया जाता है। लेकिन जिस तरह से दिवाली के दिनों में बाज़ार में आसानी से मिलने वाली और आपको बेहद स्वादिष्ट लगने वाली मिठाइयों में जमकर मिलावट की जाती है ठीक उसी तरह होली के दिनों में भी होली के रंगों में खूब मिलावट की जाती है। होली के रंगों में कांच, केमिकल्स, रेत और मिट्टी की मिलावट की जाती है, जिससे स्किन पर एलर्जी होने के साथ ही रेशेज़ और कट पड़ने लगते हैं।
स्किन से सम्बन्धित इन समस्याओं से बचने के लिए आपको असली और नकली रंग में अंतर पता होना चाहिए। आपको तब और भी सतर्क रहने की ज़रूरत हैं जब इन रंगों से छोटे बच्चे भी खेलते हैं।
होली के असली और नकली रंगों को कैसे पहचाने ? | How to identify real and fake colors of Holi
रंग जल्दी नहीं छूटता | Color does not come out
सबसे पहले आप गुलाल या किसी भी गीले रंग को अपने हाथ की त्वचा के छोटे से हिस्से पर लगाएं। इस रंग को आप 10 से 15 मिनट के लिए अपने हाथों पर लगा रहने दें। इसके बाद इस रंग को अपनी त्वचा से हटाने की कोशिश करें। रंग को हटाने के लिए आप सादे पानी का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। अगर आपके हाथ पर लगा हुआ रंग हाथ धोने के बाद भी देर तक आपके हाथ पर उसी तरह रहता है तो इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि वह रंग ऑर्गेनिक नहीं सिंथेटिक है।
पैकेजिंग | Packaging
असली रंग की पैकेजिंग भी असली होती है। यानी किसी भी असली रंग के पैकेट पर सभी ज़रूरी इंस्ट्रक्शंस छपे होते हैं। किसी भी तरह के रंग का पैकेट खरीदने से पहले आपको यह देख लेना चाहिए कि वह पैकेट कहीं से कटा – फटा ना हो। इस तरह के पैकेट में मौजूद रंगों में मिलावट की संभावना ज़्यादा होती है।
पैकेट का लेबल ध्यान से पढ़े | Read the Label Carefully
जब आप किसी भी प्रोडक्ट का लेबल पढ़ते हैं तो आपको ऐसी चीज़ों के बारे में जानने को मिलता है जिनके बारे में आप पहले नहीं जानते थे। आपको लेबल पर लिखी गईं कुछ बातों पर ज़रूर ध्यान देना चाहिए जैसे रंग की मेन्यूफेक्चरिंग डेट क्या है और इस रंग को कब तक इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा रंग बनाने में किन चीज़ों का इस्तेमाल किया गया है। यदि रंग बनाने के लिए कुछ ऐसी चीज़ों का इस्तेमाल किया गया है जिनसे आपकी त्वचा को नुकसान पहुँच सकता है तो आपको उस रंग का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
पानी से करें जाँच | Test with water
अगर आप होली के रंग की जांच उसे अपनी त्वचा पर लगाकर नहीं करना चाहते तो आप इसकी जांच रंग को पानी में मिलाकर भी कर सकते हैं। इस तरह से जांच करने के लिए आपको एक चम्मच रंग को पानी में मिलाना है। अगर होली का रंग पूरी तरह से पानी में घुल जाता है तो आपको समझ जाना चाहिए कि वह रंग असली है। अगर रंग पूरी तरह से पानी में नहीं घुलता तो रंग में मिलावट हो सकती है। असली रंग के निशान बर्तन से तुरंत साफ़ हो जाते हैं लेकिन नकली रंग के दाग बर्तन पर लम्बे समय के लिए रहते हैं और इन्हे हटाने के लिए अच्छी खासी मेहनत करनी पड़ती है।
रंग में दिखते हैं चमकदार टुकड़े ? | If you see shiny pieces
अगर आपको होली के रंग में चमकदार टुकड़े दिखाई देते हैं तो आपको समझ जाना चाहिए कि आप होली के जिस रंग को खरीद कर लाएं हैं उसमें कांच के टुकड़ों की मिलावट की गई है। रंग में मिले हुए ये कांच के टुकड़े आपकी स्किन के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकते हैं और इससे आपकी स्किन पर एलर्जी हो सकती है।
कीमत | Price
प्राकृतिक रूप से तैयार किए गए होली के रंगों की कीमत काफी ज़्यादा होती है जबकि होली के सिंथेटिक रंगों की कीमत काफी कम होती है। ऑर्गेनिक रंगों को बनाने में इस्तेमाल किया जाने वाला सामान काफी महंगा होता है। लेकिन पैसे बचाने के लिए आपको इन सस्ते और घटिया रंगों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। यह आपकी त्वचा को काफी नुकसान पहुंचा सकता है।
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