दिल्ली में गहरा सकता है जल संकट, रहें सावधान

दिल्ली में गहरा सकता है जल संकट, रहें सावधान
image source : theonebrief.com

होली के त्यौहार के बाद दिल्ली का मौसम धीरे – धीरे बदलने लगता है और फिर दिल्ली भीषण गर्मी की चपेट में आ जाती है। मार्च और मई के महीने में लू चलने की शुरुआत भी हो जाती है। बढ़ती गर्मी की वजह से आगे आनेवाले दिनों में स्थिति और भी ज़्यादा खराब हो सकती है क्योंकि भीषण गर्मी के दौरान अक्सर लोगों को पानी की समस्या की वजह से काफी परेशान होना पड़ता है। आगे आने वाले दिनों में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी जल संकट गहरा सकता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि दिल्ली वजीराबाद में यमुना के जल स्तर में गिरावट की मुख्य वजह हरियाणा में अवैध रूप से जारी रेत खनन है। इस बात की पुष्टि स्वयं दिल्ली जल बोर्ड द्वारा की गई है। मौजूदा समय में दिल्ली का जल स्तर ज़रूरत से लगभग तीन फ़ीट नीचे गिर गया है। गर्मी बढ़ने की वजह से स्थितियाँ और भी ज़्यादा खराब हो सकती हैं।

और भी गंभीर हो सकती है समस्या

दिल्ली जलबोर्ड के अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने बताया है कि अभी जल स्तर की स्थिति ठीक वैसी है जैसी पिछले साल मई के महीने में देखने को मिली थी। वहीं अधिकारियों का मानना है कि आगे आने वाले दिनों में यह समस्या और भी गंभीर एवं चिंताजनक साबित हो सकती है। रेत माफिया ने यमुनानगर में नीचे की ओर बांध बनाएं हैं, जिसकी वजह से दिल्ली में पानी का प्रवाह बाधित हो सकता है।

जलस्तर में गिरावट

सौरभ भारद्वाज ने बताया है कि यमुना का जल स्तर पहले 674.5 फुट हुआ करता था जो कि अब घट कर 671.7 फुट हो गया है। यमुना नदी में फैक्ट्रियों से निकलने वाला गंदा जल यमुना के निर्मल पानी को दूषित करने का काम कर रहा है। ऐसे में यमुना का जल पीने लायक नहीं रहा। इसकी वजह से आम जनता तो बुरी तरह से प्रभावित होगी ही लेकिन इस तरह का गंदा जल सीएम कार्यालय, एलजी हाउस, राष्ट्रपति भवन और केंद्र और राज्य सरकार के विभागों में भी जलापूर्ति को बुरी तरह से प्रभावित करेगा।

प्रभावित हैं जलापूर्ति संयंत्र

पीटीआई द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक़ यमुना के जल स्तर में गिरावट की वजह से वजीराबाद और चंद्रावल उपचार संयंत्रों के संचालन को बुरी तरह से प्रभावित किया है। आपको बता दें की वजीराबाद और चंद्रावल वाटर ट्रीटमेंट प्लांटों से मध्य और दक्षिणी दिल्ली में जल की आपूर्ति की जाती है। सौरभ भारद्वाज ने कहा है कि हाल फिलहाल में बन रही स्थितियों की वजह से अन्य क्षेत्रों से पानी निकालना होगा क्योंकि यह समस्या पूरे शहर को प्रभावित कर सकती है। दिल्ली को हर दिन 1250 एमजीडी पानी की आवश्यकता होती है जबकि दिल्ली जल बोर्ड द्वारा सिर्फ 950 एमजीडी की आपूर्ति की जाती है।

सीमित हैं जलापूर्ति के साधन

दिल्ली अपनी रोज़ की ज़रूरत का 40 फीसदी जल यमुना नदी से प्राप्त करती है। सौरभ भारद्वाज ने यह भी बताया है कि 1994 के बाद से दिल्ली की आबादी में काफी बढ़ोतरी हुई है। लेकिन शहर में जलापूर्ति का स्त्रोत वही है। दिल्ली में पानी के स्त्रोत काफी सीमित हैं। उन्होंने कहा है कि हमने केंद्र सरकार से इन स्त्रोतों को बढ़ाने की माँग की है। यमुना में जाने वाले सीवेज के पानी को हम रोकेंगे। उन्होंने बताया है कि उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की है कि हमारे हिस्से का पानी आबादी के अनुपात में होना चाहिए। दिल्ली में उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा राज्यों से बड़ी संख्या में लोग आकर बसे हैं। इसलिए हमें केंद्र सरकार से उनके हिस्से का पानी मिलना चाहिए।

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