इस बार उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन आने वाली 13 जनवरी 2025 से 26 फरवरी 2025 तक होगा। जिसके अंतर्गत 45 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचने का अनुमान है। यह महाकुम्भ प्रत्येक 12 साल के बाद लगता है।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(RSS) द्वारा इस महाकुंभ को कचरा एवं प्लास्टिक मुक्त कराने हेतु एक थाली एक थैला अभियान शुरू किया जारहा है।
इस अभियान के तहत प्रत्येक घर से एक थाली और एक कपड़े का थैला इकट्ठा किया जाएगा, तथा महाकुंभ में भेजा जाया ताकि वहाँ पर कम से कम कचरा और प्लास्टिक एकत्रित न हो। साथ ही साथ पर्यावरण को नुकसान से बचाया जा सके। इस अभियान के जरिए करीब 40,000 टन कचरे को आधा करने में मदद मिलेगी। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य युवाओं को हिंदू संस्कृति के साथ जुड़ाव और नदियों और प्रयागराज को स्वच्छ रखना भी है। भोजन करते वक्त डिस्पोजल का अधिक प्रयोग के कारण कचरा बहुत अधिक होता है थाली के प्रयोग में लाने पर डिस्पोजल का प्रयोग कम से कम होगा और पर्यावरण शुद्ध भी होगा।
जन सहभागिता – (घर घर कुंभ) के अंतर्गत एक थाली एक थैला अभियान के कुछ दिशा निर्देश:
- सब स्थानों पर “थैला – थाली” सुंग्रह अभियान चलाना है।
- अधिकतम पररवारों, सामाजिक संस्थानों, सोसाइटी, कॉलोनी मोहल्लों आदि से “थैला – थाली ” सुंग्रह करना है।
- थैले का आकार सामान्यतया 15″ x 12″ इंच होना चाहिए, थैला कपड़े का ही होना चाहिए।
- थाली स्टील की ही होनी चाहिए। थाली का साइज लगभग 11″ x 14″ इंच का होना चाहिए।
- स्थानीय स्तर पर थैले -थाली एकवत्रत करके नवम्बर 2024 के अंतिम सप्ताह तक प्रयागराज तक पहुँचायें।
- भेजने के पूर्व, थैले और थाली के 100-100 संख्या के अलग-अलग पैकेट बनाकर ही भेजने का प्रयास करें।
हरित कुंभ वेब स्टोरीज – Web Stories
◉ प्रयागराज में महा कुंभ मेला 2025: आस्था और भक्ति का अद्भुत संगम
◉ महाकुंभ 2025: शाही स्नान की तिथि एवं महत्व
पंच परिवर्तन – Panch Parivartan
विजयदशमी 2024 के पावन अवसर पर संघ संचालक मोहन भागवत जी ने भारतीय समाज में स्वतंत्रता समरसता और चेतना जागरण का बीड़ा उठाया जिसमें उन्होंने पांच परिवर्तन के लक्षण के साथ समाज को नई दिशा देने के लिए प्रतिबद्ध किया है। ये पांच परिवर्तन आने वाले वर्षों में समाज को नई दिशा देंगे।
- सामाजिक समरसता विभिन्न वर्गों के बीच में सौहार्द और प्यार बढ़त।
- कुटुंब प्रबोधन राष्ट्रीय के विकास में परिवार की महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली इकाई के रूप में संवर्धित करना।
- पर्यावरण संरक्षण पृथ्वी को माता मानकर पर्यावरण की रक्षा करना।
- स्वदेशी और आत्मनिर्भरता देश की स्वदेशी अर्थव्यवस्था और आत्मनिर्भरता पर जोर।
- नागरिक कर्तव्य प्रत्येक नागरिक को सामाजिक जिम्मेदारी और राष्ट्रीय हित में योगदान।