विज्ञान के अनुसार दिमाग मनुष्य के शरीर का सी पी यू (सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट) है। हमारे शरीर की आयु बढ़ने के साथ-साथ हमारे दिमाग की भी आयु बढ़ती है। ऐसे में कुछ ही समय बाद हमारे दिमाग के काम करने की गति धीमीं हो जाती है।
विज्ञान के अनुसार 30 वर्ष की आयु तक हमारा मस्तिष्क सिकुड़ने लगता है। 60 की उम्र तक इस प्रक्रिया में काफी इज़ाफा हो जाता है। हमारे ब्रेन का वॉल्यूम कम होने का सीधा प्रभाव हमारी संज्ञानात्मक क्षमता पर पड़ता है। इस क्षमता के प्रभावित होने पर व्यक्ति चीज़ों को याद नहीं रख पता। उसे किसी भी चीज़ पर फोकस करने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा हमारा दिमाग एक ही समय में अलग-अलग तरह के काम करने की क्षमता को भी खो देता है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि शरीर के बूढ़े होने पर शरीर की बाकी अंगों की फंक्शनिंग पर भी असर पड़ता है लेकिन शरीर के सभी अंगों की तुलना में दिमाग ज़्यादा प्रभावित होता है। दिमाग इंसान के मरने तक उसका साथ देता है। दिमाग के बूढ़े होने पर आपका शरीर आपको उसके संकेत देने लगता है। इन संकेतों को आपको नज़रंदाज़ नहीं करना चाहिए।
मेमोरी लॉस
आपके दिमाग की उम्र बढ़ गई है इसका संकेत आपको बार-बार होने वाले मेमोरी लॉस से भी मिल सकता है। ऐसे में आप हर दिन की छोटी-छोटी बातों को भूल सकतें हैं जैसे कि आपने घर की चाबी कहाँ रखी है, बार-बार पासवर्ड भूल जाना या किसी दोस्त के नाम को याद ना रख पाना आदि। ये बढ़ती उम्र में मेमोरी लॉस के सामान्य लक्ष्ण हैं।
गलत निर्णय लेनाअक्सर इस तरह की दिक्क्त लोगों में याददाश्त के कमज़ोर होने से पहले दिखाई देने लगती है। ऐसे में लोग उचित समय पर सही निर्णय नहीं ले पाते या गलत निर्णय लेते हैं।
मूड में अचानक बदलाव होना
दिमाग में बदलाव होने पर मूड में भी जल्दी बदलाव होने लगता है। इससे आपकी इमोशनल फंक्शनिंग प्रभावित होती है जिससे आपको लगातार मूड बदलने की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
आँखों में दिक्कत
हमारा दिमाग हमारे शरीर के हर अंग के साथ जुड़ा है। इसका जुड़ाव हमारी आँखों के साथ भी है। उम्र के साथ यदि आपको देखने में दिक्कत का सामना करना पर रहा है तो इसका मतलब है कि आपका दिमाग कमज़ोर हो गया है।
अस्वीकरणीय – यह लेख पूरी तरह से सामान्य जानकारी पर आधारित है। अधिक समस्या होने पर इस क्षेत्र से सम्बंधित चिकित्सक या विशेषज्ञ से परामर्श लेना ही उचित है। ultranewstv इस जानकारी की पुष्टि नहीं करता और ना ही इसकी ज़िम्मेदारी लेता है।