राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (या RSS) भारतीय समजाजिक-सांस्कृतिक ताने-बाने का एक यथार्थ है। संघ स्वयं को एक सांस्कृतिक संगठन कहता है, जो कि भारत में सामजिक समरसता हेतु प्रतिबद्ध है। आरएसएस से जुड़े लोग अपने आप को स्वयंसेवक कहते हैं। मोहन भागवत के शब्दों में, “संघ का उद्देश्य लोगों को स्वयं के साथ जोड़कर संगठन की शक्ति में वृद्धि करना है। भारत के प्रत्येक गांव में स्वयंसेवकों को तैयार करना संघ का उद्देश्य है।” संघ द्वारा समाज के विभिन्न परिदृश्यों में संघ के प्रभाव को लेकर वो कहते हैं कि संघ कुछ नहीं करेगा किन्तु स्वयंसेवक सब कुछ करेगा।
आज स्वतंत्रता पश्चात् हम जब आज़ादी का अमृत-महोत्सव मना रहे हैं, तो राष्ट्र के इस निर्माण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इन स्वयंसेवकों के महत्त्व को नकारा नहीं जा सकता। आज आपको स्वयंसेवक गाँव की गली से लेकर राजनीति के शीर्ष पदों पर विराजमान मिल जायेंगे। ऐसे ही प्रसिद्ध स्वयंसेवकों के जीवन से जुड़े कुछ पहलु जानने के लिए पढ़ें अल्ट्रान्यूज़टीवी।
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