स्वामी विवेकानंद – Swami Vivekananda

स्वामी विवेकानंद - Swami Vivekananda

हिन्दू दर्शन से पश्चिमी जगत को मिलाने का श्रेय भारत के महान आध्यात्मिक गुरु स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) को जाता है। उन्होंने वैश्विक पटल पर हिन्दू धर्म (अद्वैत वेदांत) का प्रचार-प्रसार किया। इस लेख के माध्यम से जानतें हैं उनके विषय में, तथापि उनके द्वारा कही गयीं कुछ प्रेरणादायी बातें।

“हम वही हैं जो हमें हमारे विचारों ने बनाया है; इसलिए इस बात का ध्यान रखें कि आप क्या सोचते हैं। शब्द गौण हैं, विचार जीवित हैं; वे दूर तक यात्रा करते हैं।”

“उठो! जागो! और तब तक न रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।”

“ब्रह्माण्ड की सभी शक्तियाँ पहले से ही हमारी हैं। यह हम ही हैं जो अपनी आंखों पर हाथ रख लेते हैं और रोते हैं कि अंधेरा है।”

“उठो, साहसी बनो, और दोष अपने कंधों पर लो। दूसरे पर कीचड़ मत उछालो; आप जिन सभी दोषों से ग्रसित हैं, उनका एकमात्र और एकमात्र कारण आप ही हैं।”

“दिन में एक बार अपने आप से बात करें, अन्यथा आप इस दुनिया में एक उत्कृष्ट व्यक्ति से मिलने से चूक सकते हैं।”

स्वामी विवेकानंद का जीवन परिचय – Swami Vivekanand Biography in Hindi

असली नामनरेंद्रनाथ दत्ता
गुरुरामकृष्ण परमहंस
आराध्याभगवान शिव, माँ काली
जन्म 12 जनवरी, 1863 (राष्ट्रीय युवा दिवस)
जन्म स्थानकलकत्ता
वैवाहिक स्थितिअविवाहित
भाषाअंग्रेजी, बंगाली, संस्कृत
पिताविश्वनाथ दत्ता
माताभुवनेश्वरी देवी
गोलोक गमन4 जुलाई, 1902
संस्थापकरामकृष्ण मिशन
साहित्यिक कृतियाँराज योग, कर्म योग, भक्ति योग, ज्ञान योग, माई मास्टर, आदि
स्वामी विवेकानंद की जीवनी

उक्त कथन स्वामी विवेकानंद ने विभिन्न प्रसंगों पर कहे हैं। उनका जन्म 12 जनवरी, 1863 को हुआ। बचपन में उनका नाम ‘नरेंद्र नाथ दत्त’ रखा गया था। वे दक्षिणेश्वर काली मंदिर के पुजारी एवं 19वीं सदी में भारत में हुए महानतम संतों में से एक श्री रामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे। हालाँकि, प्रारम्भ में उनका झुकाव ब्रह्म समाज की ओर भी था। 

स्वामी विवेकानंद ने श्री रामकृष्ण परमहंस से वेदांत की शिक्षा प्राप्त की तथा अपने मानव होने के अस्तित्व को समझा। उन्होंने अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के सानिध्य में रहकर जीवन के गूढ़ ज्ञान को जाना। तत्पश्चात, अपने गुरु माता श्रीमति शारदा देवी की आज्ञा पर निकल पड़े देश व दुनिया को वेदांत की शिक्षा देने। इसी सन्दर्भ में उन्होंने अमेरिका सहित कई देशों की यात्रा की और दुनिया का परिचय वेदांत के अनुपम ज्ञान से करवाया।

4 जुलाई, 1902 को उन्होंने अपना अंतिम जीवन जिया। कहा जाता है कि उस दिन उन्होंने प्रात: दो-तीन घण्टे तक ध्यान किया और ध्यानावस्था में ही अपने ब्रह्मरन्ध्र को भेदकर महासमाधि ले ली।

आज वे हमारे बीच सशरीर तो नहीं हैं किन्तु उनके द्वारा किये गए कार्य उन्हीं के द्वारा स्थापित रामकृष्ण मिशन द्वारा समूचे विश्व को आलोकित कर रहें हैं। सच में, वे माँ भर्ती के सच्चे सपूत थे। यदि नरेंद्र कोहली के शब्दों में कहें तो – ‘पूत अनोखो जायो’।

Swami Vivekanand Movie

Swami Vivekanand full movie (Part – 1) – DD National
Swami Vivekanand full movie (Part-2) – DD National

और अधिक जानें : https://en.wikipedia.org/wiki/Swami_Vivekananda

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