इन 5 जीएमओ युक्त खाद्य पदार्थों से करें परहेज़

इन 5 जीएमओ युक्त खाद्य पदार्थों से करें परहेज़
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जीएमओ (GMO) से युक्त खाद्य पदार्थों (Food Materials) का सेवन करने से आपको स्वास्थ्य सम्बंधित बीमारियाँ हो सकती हैं। अमेरिकन अकादमी ऑफ़ एनवायर्नमेंटल मेडिसिन (एएईएम) द्वारा की गई रिसर्च के मुताबिक आपकी डाइट में जीएमओ की मात्रा अधिक होने पर आपके ऑर्गन्स डेमेज (Organs Damage) हो सकते हैं। इसके अलावा आपको इम्यून सिस्टम से सम्बंधित बीमारियाँ भी लग सकती है। खाने में इसकी मात्रा अधिक होने पर आपको स्वास्थ से जुड़ी अन्य बीमारियाँ भी हो सकती हैं।

क्या है जीएमओ ?
जीएमओ यानी जेनेटिकली मॉडिफाइड ऑर्गैनिस्म (Genetically Modified Organism) एक पौधा, पशु, सूक्ष्मजीव या अन्य जीवित जीव हैं जिनके आनुवंशिक सामग्री को आनुवंशिक इंजीनियरिंग तकनीकों का उपयोग करके बदल दिया गया है। सरल भाषा में कहें तो विज्ञान की तकनीकों की सहायता से किसी पौधे, पशु, सूक्ष्म जीव या किसी दूसरे जीवित जीव के जेनेटिक मेटीरियल को बदल दिया गया हो। ऐसे कुछ खाद्य पदार्थ हैं जिनमें इनकी मात्रा अधिक होती है।

जीएमओ से युक्त खाद्य पदार्थ
1) डिब्बा बंद सूप (Canned Soup)
सर्दियों के मौसम में गरमागरम सूप पीने का मज़ा ही कुछ और है। लेकिन यदि आप डिब्बा बंद सूप एन्जॉय कर रहे हैं तो आपको सावधान होने की ज़रूरत है। इनमें जीएमओ की मात्रा काफी अधिक होती है। इसे खरीदने से पहले आपको एक नज़र इसके लेबल पर भी मार लेनी चाहिए । डिब्बाबंद सूप में सोयाबीन, केनोला और कोटनसीड के तेल का इस्तेमाल किया जाता है जो आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

2) दूध (Milk)
यूएस में गाय को ग्रोथ होर्मोन्स (Growth Hormones) दिए जाते हैं जिनसे उनका विकास जल्दी हो सके और उनकी तादात को बढ़ाया जा सके। इसके लिए जिस केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है उसे यूरोपियन यूनियन, जापान, कनाडा, न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में बैन किया जा चुका है।

3) सोया (Soya)
सोया को सबसे ज़्यादा जेनेटिकली मोडिफाई किया जाता है। यह टोफू, शाकाहारी खाद्य पदार्थ, सोयाबीन ऑयल, सोया फ्लोर और दूसरे प्रोडक्ट्स में भी पाया जाता है।

4) केनोला ऑयल (Canola Oil)
केनोला ऑयल को 1996 से मोडिफाई किया जा रहा है। वर्ष 2006 तक यूएस में 90% केनोला प्लांट्स को जेनेटिकली मोडिफाई (Genetically Modify) किया जा चुका था।

5) पपीता (Papaya)
1999 से हवाई में लोगों के खाने के लिए पपीता उगाया जा रहा है। इस मॉडिफिकेशन (Modification) से पपीता अपने सही समय पर न पक कर देर से पकता है और इस मॉडिफिकेशन से पपाया रिंगस्पॉट वायरस (Papaya Ringspot Virus) से भी उसका बचाव होता है।

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