बांग्लादेश में पिछले साल आंदोलन चलाने वाले छात्रों ने अपने राजनीतिक दल का नाम जातीय नागरिक पार्टी रखा है. छात्रों ने इसे अंग्रेज़ी में नेशनल सिटिज़न पार्टी नाम दिया है। ये पार्टी आने वाले चुनावों में पारंपरिक राजनीतिक दलों को चुनौती देगी।
सवाल ये है कि नई पार्टी बांग्लादेश के पारंपरिक सियासी दलों से कितनी अलग और किन नीतियों को लेकर लोगों के बीच जाएगी? हमने पार्टी के अहम नेताओं की प्राथमिकताएँ जानीं और पता लगाया कि आम लोग इसके बारे में क्या सोच रहे हैं।राजनीतिक जानकार इसका क्या भविष्य देखते हैं?
इस पार्टी का लॉन्च समारोह, पिछले हफ़्ते, इस्लाम, हिंदू, बौद्ध और ईसाई धर्म-ग्रंथों के पाठ से शुरू हुआ. जिस देश में हाल में अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठे हों, वहाँ सभी धर्म के ग्रंथों को सार्वजनिक तौर पर सम्मान देना चौंकाने वाला था।
क्या सोच है इस पार्टी की?
युवाओं की इस नई पार्टी के संयुक्त संयोजक ऑनिक रॉय ने बताया, “हमारे आंदोलन में सभी धर्मों और वर्गों के लोगों ने हिस्सा लिया था। हमारी पार्टी सभी धर्मों का सम्मान करती है और चाहेगी की जहाँ कहीं भी क़ुरान को पढ़ कर किसी काम को शुरू किया जाता हो वहाँ सभी धर्मों के ग्रंथों का उल्लेख हो।”
इस दल का नेतृत्व कर रहे छात्र नेताओं ने पिछले साल देश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के विरोध से अपना आंदोलन शुरू किया था। मुद्दा 1971 में बांग्लादेश की आज़ादी की लड़ाई लड़ने वाले परिवारों के लिए नौकरियों में 30 फ़ीसदी आरक्षण का था।
हालांकि, 2018 में हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने इसे रद्द कर दिया था, लेकिन जून 2024 में जब सुप्रीम कोर्ट ने इसे बहाल कर दिया तो पूरे देश में छात्र आंदोलन भड़क उठा।
तत्कालीन सरकार की ओर से बल पूर्वक आंदोलन को दबाने से आंदोलन बढ़ता चला गया। फिर तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख़ हसीना पांच अगस्त 2024 को देश छोड़ने को मजबूर हो गई थीं। तबसे वहाँ नोबल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार है और इसमें छात्र नेताओं की अहम भूमिका रही है। अंतरिम सरकार ने कहा है कि बांग्लादेश में इस साल के अंत में या फिर अगले साल आम चुनाव होंगे। नई पार्टी की रूपरेखा को सार्वजनिक करने के लिए 28 फरवरी को एक समारोह हुआ।
इसमें बांग्लादेश की पुरानी इस्लामी पार्टी जमात-ए-इस्लामी और पूर्व प्रधानमंत्री ख़ालिदा ज़िया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के कुछ नेताओं ने भी हिस्सा लिया। देश के दूर-दराज़ क्षेत्रों से कई छात्र भी इस समारोह में हिस्सा लेने पहुँचे।