बिरसा मुंडा पुण्यतिथि : 9 जून 

बिरसा मुंडा पुण्यतिथि : 9 जून 

बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को बंगाल प्रेसीडेंसी (वर्तमान झारखंड) के उलिहातु में एक मुंडा परिवार में हुआ था। उनके माता-पिता सुगना मुंडा और कर्मी हाटू थे। वह भारतीय धार्मिक नेता, स्वतंत्रता सेनानी और लोक नायक थे। बिरसा मुंडा के जन्मदिवस को आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को याद करने के लिए जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जाता है। स्कूली शिक्षा उन्होंने एक मिशनरी स्कूल से प्राप्त की, जहाँ वे ईसाई धर्म में परिवर्तित हो गए थे। वहां उनका नाम रखा गया था – बिरसा डेविड/दाउद। 3 मार्च, 1900 को, बिरसा मुंडा को ब्रिटिश पुलिस ने चक्रधरपुर के जमकोपाई जंगल में अपनी आदिवासी छापामार सेना के साथ सोते समय गिरफ्तार कर लिया था। 25 वर्ष की अल्पायु में 9 जून, 1900 को रांची जेल में उनका देहांत हो गया।

9 जून को बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि के दिन, आईये जानते हैं स्वंतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा के बारे में 

  • 1886 से 1890 की अवधि के दौरान, बिरसा मुंडा ने चाईबासा में एक लंबी अवधि बिताई। 1890 में जब उन्होंने चाईबासा छोड़ा, तब तक बिरसा आदिवासी समुदायों के ब्रिटिश उत्पीड़न के खिलाफ आंदोलन में मजबूती से शामिल हो गए थे।
  • ब्रिटिश कृषि नीतियों ने मुंडाओं को विद्रोह की चिंगारी प्रदान की। मुंडा संयुक्त जोत की ‘खुनखट्टी प्रणाली’ का पालन करते थे। अंग्रेजों ने इसे ‘जमींदारी प्रणाली’ से बदल दिया, जिससे बाहरी लोगों को इन आदिवासी क्षेत्रों में प्रवेश करने की अनुमति मिली।
  • बिरसा मुंडा ने गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक किया। उन्होंने विक्टोरियन शासन के अंत की घोषणा की और मुंडा शासन के शुरुआत की घोषणा की। उन्होंने एक प्रभावी आंदोलन चलाया जिसमें लोगों ने अंग्रेजों को कर देना बंद कर दिया।
  • उन्हें 1895 में गिरफ्तार किया गया और दो साल बाद रिहा कर दिया गया। 1897 में अपनी रिहाई के बाद, मुंडा ने आदिवासियों को फिर से संगठित करके आंदोलन को गति दी। मुंडा ने भूमिगत होकर अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह के बीज बोए।
  • उन्होंने चर्च और इसकी प्रथाओं का विरोध किया और चर्च द्वारा कर लगाने का विरोध किया। साथ ही, उन्होंने  ईसाई मिशनरियों द्वारा किये जाने वाले मतांतरण का भी विरोध किया।  
  • बिरसा ने आदिवासी लोगों को मिशनरियों से दूर रहने और अपने पारंपरिक तरीकों पर वापस लौटने की बात की।  
  • भारत के आदिवासी उन्हें भगवान मानते हैं और ‘धरती आबा’ के नाम से भी जाना जाता है।
  • 3 मार्च, 1900 को, बिरसा मुंडा को ब्रिटिश पुलिस ने चक्रधरपुर के जमकोपाई जंगल में अपनी आदिवासी छापामार सेना के साथ सोते समय गिरफ्तार कर लिया था। 25 वर्ष की अल्पायु में 9 जून, 1900 को रांची जेल में उनका देहांत हो गया।
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