प्रत्येक वर्ष 30 मार्च को राजस्थान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन (30 मार्च, 1949) भारत के पश्चिमी राज्य राजस्थान का गठन हुआ था। राजस्थान राज्य 30 मार्च, 1949 को कई रियासतों के विलय के बाद अस्तित्व में आया। यह दिन राजस्थान के लोगों के लिए बहुत महत्व रखता है।
राजस्थान दिवस पूरे राज्य में बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। इस दिन राज्यभर में समारोहों का आयोजन किया जाता है। समारोहों में सांस्कृतिक कार्यक्रम, लोक प्रदर्शन, पारंपरिक संगीत और नृत्य, राजस्थानी कला और शिल्प को प्रदर्शित करने वाली प्रदर्शनियाँ शामिल की जाती है। इसके अतिरिक्त विभिन्न अन्य गतिविधियाँ, जो राजस्थान की जीवंत संस्कृति और विरासत को प्रदर्शित करती है, का आयोजन किया जाता है।
क्यों मनाया जाता है राजस्थान दिवस ?
राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा राज्य है और जनसंख्या की दृष्टि से सातवा सबसे बड़ा राज्य है। राजस्थान का पूर्व नाम पहले ‘राजपुताना’ हुआ करता था। राजस्थान का कुल क्षेत्रफल लगभग 3,42,239 वर्ग किलोमीटर है। इस दिन भारत के राजपुताना का विलय भारत के डोमिनियन में कर दिया गया था।
क्या है राजस्थान का शाब्दिक अर्थ ?
राजस्थान का शाब्दिक अर्थ ‘राजाओं की भूमि’ या ‘राज्य की भूमि’ है। राजस्थान राज्य का नाम ही अपनी ऐतिहासिक विरासत की गवाही देता है। स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व यहाँ अनेक राजाओं ने अपनी विरासतों को कायम करते हुए शासन किया था। राजस्थान में कुल 19 रियासतों को मिलाकर इस राज्य को स्थापित किया गया था।
किसने की थी राजस्थान की स्थापना ?
राजस्थान की स्थापना से जुड़े इस सवाल को लेकर लोगों में काफी मतभेद है। इस पर कुछ लोगों का मत है की राजस्थान की स्थापना अकबर ने की थी। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि राउ जोधा ने इस राज्य की स्थापना 1400 वर्ष पहले की थी। लेकिन यह स्वयं आज भी एक सवाल बना हुआ है क्योंकि वास्तव में राजस्थान राज्य की स्थापना किसने की थी, इस बात की पुष्टि कर पाना काफी कठिन है।
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